
मणिपुर समाचार
मणिपुर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष असकर अली के घर को भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। आरोप है कि उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम का समर्थन किया था।
वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में बयान देने पर मणिपुर के भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अस्कर अली के घर को रविवार रात भीड़ ने आग लगा दी। अधिकारियों के मुताबिक, घटना थौबल जिले के लीलोंग इलाके की, जहां अली के घर को निशाना बनाया गया।
जानकारी के अनुसार, अली ने शनिवार को सोशल मीडिया पर कानून का समर्थन किया था। इसके बाद रविवार रात करीब 9 बजे नाराज भीड़ उनके घर के बाहर जमा हुई। पहले वहां तोड़फोड़ की और फिर आग लगा दी। घटना के बाद अली ने एक वीडियो जारी कर माफी मांगी और अधिनियम का विरोध जताया। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच में जुटी है, लेकिन अब तक किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
इससे पहले रविवार दिन में इंफाल घाटी के कई हिस्सों में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन हुए। लीलोंग में एनएच-102 पर 5,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने जाम लगा दिया। थौबल के इरोंग चेसाबा में सुबह भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाए और कानून को संविधान के मूल्यों के विरुद्ध बताया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारे लगाए और अधिनियम की निंदा की। इस दौरान प्रदर्शनकारी साकिर अहमद ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यह मुस्लिम समुदाय के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।अधिकारियों ने बताया कि घाटी के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
इसके साथ ही इंफाल पूर्व में क्षत्री अवांग लेईकाई, कैरांग मुस्लिम और कियामगेई मुस्लिम इलाकों और थौबल जिले के सोरा समेत अन्य जगहों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए। गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद लोकसभा ने गुरुवार को और राज्यसभा ने शुक्रवार की सुबह वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी।
इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों (धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए मुसलमानों द्वारा स्थायी रूप से दान की गई संपत्ति) के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं। यह संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाकर, वक्फ बोर्डों और स्थानीय अधिकारियों के बीच समन्वय को सुव्यवस्थित करके और हितधारकों के अधिकारों की रक्षा करके शासन में सुधार करना चाहता है।
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