एक सप्ताह में 90 घंटे काम करने की एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की सलाह पर बहस छिड़ी हुई है। कई हस्तियों ने अपनी अपनी राय इस मुद्दे पर जाहिर की। इन सबके बीच आईआईटी के प्रोफेसर निर्मल्या कजुरी ने एक नया फॉर्मूला सुझाया है। उन्होंने ओवरटाइम की बात कहकर अपना अपनी प्रतिक्रिया दी है। निर्मल्या के बयान पर यूजर्स भी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
लार्सन एंड टुब्रो यानी L&T के चेयरमैन एएसन सुब्रह्मण्यन ने एक सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात कहकर इस बात पर चर्चा छेड़ दी कि हफ्ते में कितने घंटे में काम करना चाहिए। उनके बयान पर उन्हें तीखे रिएक्शन्स का सामना भी करना पड़ा। फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण से लेकर आनंद महिंद्रा तक ने उनके बयान पर अपने तरीके से जवाब दिया। इन सबके बीच एक सुब्रह्मण्यन के 90 घंटे काम का जवाब आईआईटी प्रोफेसर ने दिया है।
आईआईटी प्रोफेसर निर्मल्या कजुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपने जवाब में कहा
'यदि भारत में हर सप्ताह 40 घंटे से ज्यादा काम करने वाले कर्मचारियों को ओवरटाइम राशि भुगतान का पालन कंपनियां सख्ती से करें तो जो कॉर्पोरेट कंपनियों के मालिक कर्मचारियों को 70 से 80 घंटे काम करने की वकालत कर रहे हैं, वे 'वर्क लाइफ बैलेंस' के चैंपियन बन जाएंगे।'
प्रोफेसर के जवाब पर मिल रहीं यूजर्स की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं
- कजुरी के इस जवाब पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं मिल रही है। एक यूजर ने कजुरी के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि अगर भारत हर सप्ताह 40 प्लस घंटे काम करने वाले लोगों को ओवरटाइम वेतन देने के नियम का सख्ती से पालन करे, तो काफी चीजें सकारात्मक रूप से बदल जाएंगी।
- हालांकि एक अन्य यूजर ने आईआईटी प्रोफेसर की प्रतिक्रिया पर उन्हें आड़े हाथों लिया है। यूजर ने कहा कि कार्य के घंटों की संख्या का वेतन से कोई लेना देना नहीं है। काम के घंटे और वेतन एक सरकार मानसिकता है। कंपनियां उन कर्मचारियों को पुरस्कृत करेंगी जो जिनके कार्य के घंटे कपंनियों को ज्यादा रेवेन्यू देते हैं।
नारायण मूर्ति ने दी थी 70 घंटे काम की सलाह
बता दें कि लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने एम्प्लॉइज के साथ ऑनलाइन बातचीत में एक सप्ताह में 90 घंटे काम करने की वकालत की थी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि रविवार को भी काम करना चाहिए। इससे पहले इंफोसिस के फाउंडरपर्सन नारायण मूर्ति ने भी चीन का हवाला देते हुए कॉर्पोरेट कर्मियों के एक सप्ताह में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी।
चीन का दिया था हवाला
उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा था कि हमारे देश को भी चीन की तरह तरक्की करने के लिए काम के घंटे बढ़ना चाहिए। हालाांकि एसएन सुब्रह्मण्यन ने तो एक हफ्ते में 70 की बजाय 90 घंटे काम करने की बात कहकर इस चर्चा को और बढ़ा दिया।
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