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महागठबंधन ने अपने छह विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से फिर से आग्रह किया है। इन विधायकों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का साथ दे दिया था। महागठबंधन का कहना है कि दल-बदल कानून सभी के लिए है और इन विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

पटना। महागठबंधन ने अपने उन छह विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से एक बार फिर आग्रह किया है, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पाले में चले गए हैं।

अब्दुल बारी सिद्दीकी के नेतृत्व में महागठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर बजट सत्र से पहले इस संदर्भ में निर्णय लेने का आग्रह किया।

इसके साथ ही विधानसभा में राजद के मुख्य सचेतक अख्तरूल इस्लाम शाहीन ने बुधवार को अपनी पार्टी के चार विधायकों (प्रह्लाद यादव, नीलम देवी, संगीता कुमारी, चेतन आनंद) की सदस्यता समाप्त करने के लिए अध्यक्ष को तीसरी बार पत्र भी लिख है। शेष दो (मुरारी प्रसाद गौतम व सिद्धार्थ सौरव) कांग्रेस के विधायक हैं। मुरारी महागठबंधन की सरकार में मंत्री हुआ करते थे।

'उचित कार्रवाई का मिला आश्वासन'

विधानसभा अध्यक्ष से भेंट के बाद सिद्दीकी ने बताया कि उचित कार्रवाई का आश्वासन मिला है। अध्यक्ष ने कहा है कि दल बदल करने वाले विधायकों को नोटिस दिया गया है। उनका उत्तर नहीं मिला है। दोबारा नोटिस भेजा जाएगा।

हालांकि, सिद्दीकी ने अस्पष्ट तौर पर यह आशंका भी प्रकट की कि कहीं कार्रवाई तक विधानसभा का समापन ही न हो जाए! आशा है कि विधानसभा अध्यक्ष जल्द से जल्द कार्रवाई करेंगे। हमने कहा कि अगले सत्र से पहले सभी विधायकों पर कार्रवाई की जाए। अगर कहीं भी न्याय में देरी होती है तो फिर बहुत दिक्कत होती है, इसलिए न्याय में देरी नहीं होनी चाहिए।

'अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो...'

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि अगर अविलंब कार्रवाई नहीं हुई तो बजट सत्र के दौरान विधान मंडल मेंं हंगामा तय है। दल-बदल कानून सभी के लिए है। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास, राजद विधायक रणविजय साहू आदि सम्मिलित रहे।

कैसे हुआ था 'खेला'?

उल्लेखनीय है कि सत्ता के उलट-फेर के दौरान महागठबंधन के छह विधायक राजग के पाले में चले गए थे। विधायी नियमों का हवाला देते हुए महागठबंधन ने सभी को सदन के अयोग्य करार दिए जाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया था।

राजद के मुख्य सचेतक द्वारा पहले दो अनुरोध-पत्र 28 फरवरी, 2024 को लिखे गए थे और तीसरा 22 नवंबर, 2024 को। समय-समय पर मौखिक तौर पर भी स्मरण कराया गया। कांग्रेस की ओर से भी पत्र दिया गया था। इस बीच उन विधायकों की सक्रियता राजग में बढ़ती गई।

संगीता कुमारी को बीजेपी ने बनाया प्रदेश प्रवक्ता

इसके उदाहरण में शाहीन ने अपने अनुरोध-पत्र में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित मोहनिया की विधायक संगीता कुमारी का उल्लेख किया है, जिन्हें भाजपा ने प्रदेश प्रवक्ता का दायित्व भी सौंप दिया है।

 

शाहीन ने लिखा है कि विधायकों ने स्वेच्छा से राजद को छोड़ा है। संविधान की अनुसूची-10 व विधानसभा प्रक्रिया व कार्य संचालन नियमावली के प्रविधानों के अनुसार उनकी सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया गया था। हालांकि, कोई पहल नहीं हुई, जो लोकतंत्र की भावना के प्रतिकूल है। संविधान की रक्षा का हवाला देते हुए उन्होंने अनुरोध किया है कि दल बदल करने वाले विधायकों की सदस्यता समाप्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

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