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मिग-21 की जगह लेने वाले तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में देरी से वायुसेना प्रमुख भी चिंतित हैं। उन्होंने कई अन्य विकल्पों और निजी भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने समयसीमा पर खासा फोकस किया और कहा कि देरी के बाद तकनीकी का कोई उपयोग नहीं होता है। दूसरी तरफ चीन बेहद तेजी से अपनी सेना को आधुनिक बनाने में जुटा है।

वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की संख्या कम है। दूसरी तरफ तेजस लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में देरी हो रही है। अब वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने रक्षा उत्पादों के विकास में निजी भागीदारी बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की वकालत की

असफलताओं से नहीं डरना चाहिए

21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) अपनी प्रासंगिकता खो देता है, अगर इसे समय पर पूरा नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि समय बहुत अहम है। हमें शोधकर्ताओं को अधिक छूट देने की जरूरत है। असफलताएं होंगी, हमें असफलताओं से नहीं डरना चाहिए।

अगर समय पर आरएंडडी नहीं तो तकनीकी का कोई महत्व नहीं

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि मुझे लगता है कि हम बहुत समय खो रहे हैं, क्योंकि हम असफलताओं से डरते हैं। रक्षा क्षेत्र में समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। अगर समयसीमा का ख्याल नहीं रखा गया तो तकनीक का कोई उपयोग नहीं होग

आरएंडडी पर रक्षा बजट का 15 फीसदी करना होगा खर्च

उन्होंने कहा कि हमें अपनी असफलताओं से सीखना चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए और इनसे डरना नहीं चाहिए। आरएंडडी फंड बहुत कम हैं। अभी रक्षा बजट का 5 फीसदी खर्च किया जाता है। मगर इसे 15 फीसदी करना चाहिए। हमें आरएंडडी फंड को बढ़ाना और निजी भागीदारों को भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा।

पड़ोसी देश तेजी से बढ़ा रहे सेना

चीन छठी पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान तैयार कर रहा है। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर उसकी फोटो खूब वायरल हुई। इसी बीच वायुसेना प्रमुख ने तेजस विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि हमें अपने उत्तरी और पश्चिमी पड़ोसियों से चिंता है।

दोनों ही देश अपनी सेनाओं में तेजी से इजाफा करने में जुटे हैं। जहां तक ​​चीन का सवाल है, यह सिर्फ संख्या का मामला नहीं है। उनकी तकनीक भी तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में उनके नई पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान की उड़ान देखी है।

तेजस विमान की डिलीवरी में देरी

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि तेजस को हमने 2016 में शामिल करना शुरू किया था। 1984 में इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी। विमान ने 17 साल बाद 2001 में उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद 2016 में इसे वायुसेना में शामिल करना शुरू किया गया।

आज हम 2024 में हैं और भारतीय वायु सेना के पास पहले 40 विमान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह उत्पादन क्षमता है। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि हमें प्रतिस्पर्धा की जरूरत है। हमारे पास कई स्रोत उपलब्ध होने चाहिए।

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