नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है। न्यायमूर्ति नरेंद्र वर्तमान में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वह दो जनवरी 2015 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे।
नैनीताल। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति जी नरेंद्र को नैनीताल हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करते हुए भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के संयुक्त सचिवजगन्नाथ श्रीनिवासन की ओर से मंगलवार को राष्ट्रपति की ओर से नियुक्ति के बाद इसका विधिवत नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है
अक्टूबर माह में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआइ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कालेजियम ने सरकार को सिफारिश भेजी थी।
कालेजियम ने वर्तमान में आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति नरेंद्र को नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव किया था। करीब दो माह से अधिक दिनों के बाद नैनीताल हाईकोर्ट में स्थायी चीफ जस्टिस की नियुक्ति हुई है।
2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट में जस्टिस बने जी नरेंद्
न्यायमूर्ति नरेन्द्र को दो जनवरी 2015 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 30 अक्टूबर 2023 को आंध्रप्रदेश के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और तब से वहीं कार्यरत हैं। वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से पहले, उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकालत की। वह अनुभवी न्यायाधीश हैं, जिन्हें कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के उच्च न्यायालयों के न्यायिक और प्रशासनिक पक्षों का काफी अनुभव है। दस अक्टूबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस ऋतू बाहरी के सेवानिवृत्त होने के बाद राष्ट्रपति की ओर वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी को कार्यवाहक चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था
हाईकोर्ट एसोसिएशन ने भी न्यायाधीशों के पदों पर नियुक्ति की मांग सरकार से की थी। नैनीताल हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सहित 11 पद हैं।
नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में खालिस्तानी गतिविधियों पर नजर
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खालिस्तानियों के एनकाउंटर के बाद कुमाऊं में पुलिस व खुफिया एजेंसी (एलआइयू) अलर्ट मोड पर आ गई है। पंजाब और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम की ओर से तीन खालिस्तानी आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद तराई क्षेत्र में एक बार फिर आतंकियों के सक्रिय होने की बात सामने आ गई है।
कुमाऊं की छह जिलों की पुलिस ने भी पुराने दस्तावेजों में दर्ज खालिस्तानियों की जमीनी तलाश शुरू कर दी है।पुलिस सूत्रों के अनुसार वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जब पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था। पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर और शाहजहांपुर के सीमावर्ती इलाकों में खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने कई हमले किए थे।
वर्ष 1992 में पीलीभीत के जंगलों में 29 लोगों की हत्या कर दी थी। नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जैसे शांतिपूर्ण इलाकों में भी खालिस्तानी आतंकवादियों ने अपनी गतिविधियां जारी रखी थीं। यहां तक कि 1985 से लेकर 1997 तक इस क्षेत्र में आतंकवादियों ने कई वारदातों को अंजाम दिया था।
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