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जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मुश्किलों में घिर गए हैं। उनकी ही पार्टी के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने आरक्षण में बदलाव के विरोध में प्रदर्शन किया है। इससे नेशनल कॉन्फ्रेंस और प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जानकारों का कहना है कि आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए घातक साबित होगा। 

श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में यह सोचकर एक सप्ताह प्रवास का कार्यक्रम बनाया था कि वह कश्मीर में हाड़ कंपा देने वाली ठंड से उपजे हालात में स्थानीय लोगों को राहत पहुंचाने के लिए विभिन्न कार्यों व बिजली आपूर्ति और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं की बहाली की स्वयं निगरानी करेंगे, लेकिन उन्हें पहले दिन बिजली-पानी की समस्या से नहीं, बल्कि आरक्षण जैसे एक विशुद्ध सामाजिक-राजनीतिक मुद्दे से दो-चार होना पड़ा।

फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं सीएम

यह जानते हुए कि यह मामला किसी भी समय बड़े संकट का कारण बन सकता है, मुख्यमंत्री इस मामले पर फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं, लेकिन सोमवार को उनकी ही पार्टी के नेता एवं सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी द्वारा इस मुद्दे पर धरने से नेशनल कॉन्फ्रेंस और प्रदेश सरकार के लिए स्थिति विकट हो सकती है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के भीतर इस बात को लेकर चिंता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा आयोजित इस धरने को उमर की सरकार के लिए या फिर नेशनल कॉन्फेंस के नेतृत्व के लिए चुनौती के रूप में देखा जा सकता है। इससे पार्टी के भीतर असंतोष और गुटबाजी भी बढ़ सकती है।

उमर सरकार के लिए जटिल स्थिति बना रहा प्रदर्शन

नेकां के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि आरक्षण नीति में जो बदलाव आया है और जो आरक्षित वर्गों के लिए कोटा बढ़ा है, वह भाजपा सरकार द्वारा किए गए बदलावों का नतीजा है। इसके अलावा यह मामला उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है

उमर ने मामले को देखते हुए कैबिनेट उपसमिति का गठन किया है और ऐसे में आगा रुहुल्ला का विरोध प्रदर्शन प्रदेश सरकार के लिए स्थिति को जटिल बना रहा है। आगा रुहुल्ला को चाहिए था कि वह आरक्षण के मुद्दे पर अपना पक्ष पार्टी की बैठक में रखते।

उन्होंने ऐसा नहीं किया और जिस तरह से उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन किया है, उससे लोगों में सरकार की समर्थता और क्षमता के बारे में भ्रम पैदा होगा।

'उमर ने असावधानी बरती तो स्थिति विकट हो जाएगा'

कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद शाह ने कहा कि प्रदर्शन में पीडीपी, अवामी इत्तेहाद पार्टी जैसे दलों के नेता नजर आए हैं। मीरवाइज के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। अगर उमर ने असावधानी बरती तो स्थिति विकट हो जाएगा।

उनके राजनीतिक विरोधी हालात का अपने लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्थिति में उमर अब्दुल्ला राज्य और विशेष दर्जे की बहाली के अपने मूल एजेंडे से हटकर सरकार बचाने में लग जाएंगे।

आगा रुहुल्ला नाटक कर रहे हैं- अल्ताफ बुखारी

इसका संकेत जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन अल्ताफ बुखारी के बयान से मिल जाना चाहिए। दरअसल, बुखारी ने कहा कि आगा रुहुल्ला नाटक कर रहे हैं। लोग इसे अच्छी तरह समझते हैं।

रुहुल्ला ने एक माह पहले इसी मुद्दे पर अपनी पार्टी के नेता का पत्र लिखा था। एक सांसद द्वारा बात करने के बजाय खुला पत्र लिखना और धरना देना गंभीरता की कमी और राजनीतिक नौटंकी है

शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार- इट्टू

स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में दृष्टिकोण व्यक्त करना मौलिक अधिकार है। प्रदर्शन करने में कुछ भी गलत नहीं है। हर किसी को विचार व्यक्त करने का अधिकार है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी भी किसी को नजरिया सामने रखने से हतोत्साहित नहीं किया है। श्रीनगर में पत्रकारों से इट्टू ने कहा कि आरक्षण नीति से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए एक कैबिनेट उपसमिति पहले ही गठित की जा चुकी है।

आरक्षण के विरोधी सामाजिक समानता के विरोधी हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत गुज्जर-बक्करवाल समुदाय सहित पिछड़े वर्गों को सामाजिक न्याय और समानता के आधार पर आरक्षण लाभ दिया गया है, यह दान नहीं है।

-डॉ. जावेद राही, गुज्जर बक्करवाल समुदाय के सामाजिक-राजनीतिक व आर्थिक हितों के पैरोकार

सरकार तलाश रही समाधान

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में आरक्षण नीति को पूरी तरह व्यावहारिक बनाने के लिए एक कैबिनेट उपसमिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता समाज कल्याण मंत्री सकीना इट्टू कर रही हैं, जबकि उनके साथ जलशक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा और युवा सेवा एवं खेल मामलों के मंत्री सतीश शर्मा इसमें सदस्य हैं।

समिति समाज के विभिन्न वर्गों के साथ बातचीत के जरिए इस मामले को हल करने का प्रयास कर रही है। सरकार का प्रयास है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आरक्षण को किसी तरह 50 प्रतिशत तक ही सीमित रखा जाए।

उमर ने साझा की कविता

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी के विरोध जताने पर पार्टी नेताओं और समर्थकों से धैर्य और भरोसे की अपेक्षा की। उमर ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर एक कविता भी साझा की।

इस कविता का अर्थ है- यदि आपको अपने आप पर भरोसा है और आप पर सभी संदेह जता रहे हैं तो कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे किसी को संदेह करने का मौका मिले। आप सभी को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए। घृणा का पात्र न बनें, घृणा को रास्ता न दें।

पहाड़ी समुदाय के नेता बदलाव के पक्ष में नहीं

पहाड़ी सुदाय से संबंधित पूर्व एमएलसी और भाजपा नेता मुर्तजा खान ने कहा कि पहाड़ी समुदाय को एक लंबे संघर्ष के बाद आरक्षण का लाभ मिला है। उमर अब्दुल्ला को पहाड़ी आरक्षण को कम करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

राजौरी क्षेत्र के भाजपा नेता मोहम्मद इकबाल मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को एक बात समझ लेनी चाहिए कि हम गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के आरक्षण में किसी भी तरह की कमी बर्दाश्त नहीं करेंगे। पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने देने के बाद इसी वर्ष 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा प्रदान किया गया है।

क्या है यह आरक्षण नीति?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले एलजी मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली सरकार ने ये आरक्षण नीति पेश की गई थी। इस आरक्षण नीति में एडमिशन और नौकरियों में जनरल कैटगरी के लिए आरक्षण प्रतिशत कम दिया गया और रिजर्व्ड कैटेगरी के लिए आरक्षण प्रतिशत बढ़ा दिया गया था।

वहीं, ओबीसी को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग आयोग (SEBC) की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी सूची में 15 नई जातियों को जोड़ा गया। इस नीति का संसद में भी अनुमोदन किया गया था

कोई भी बदलाव नेकां के लिए होगा घातक

जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार अजय बाचलू ने कहा कि गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए घातक साबित होगा। कश्मीर से बाहर जम्मू संभाग में इन्हीं दो समुदायों में उसका मुख्य वोट बैंक है। भाजपा इन्हीं समुदायों के जरिए मुस्लिम बहुल इलाकों में मजबूत होना चाहती है।

प्रदेश सरकार आरबीए को आरक्षण कोटे से बाहर कर सकती है या फिर उसका 10 प्रतिशत का कोटा घटाया जा सकता है। सवाल फिर वही है कि आरबीए के दायरे से कौन सा इलाका बाहर किया जाएगा। कोई भी आरक्षित वर्ग अपने कोटे की समाप्ति या कटौती के खिलाफ सड़क पर उतरेगा। मौजूदा परिस्थितियों में उमर अब्दुल्ला के लिए उच्च न्यायालय ही राहत का केंद्र हैं।

नेकां स्वार्थ के लिए आरक्षण को मुद्दा बना रही है। नेकां के सांसद होकर अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। नेकां नहीं चाहती है कि यहां के हालात सामान्य रहें। कांग्रेस भी नेकां संग मिली हुई है। प्रदेश में तय नियमों के तहत ही आरक्षण दिया जा रहा है।

-सत शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

आरक्षण के मुद्दे पर नेकां के प्रदर्शन की जल्दबाजी गलत है। प्रदेश सरकार ने इस पर कार्रवाई करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। जब सरकार आरक्षण को लेकर कार्रवाई कर रही है तो सत्ताधारी पार्टी के सांसद के प्रदर्शन का तुक नहीं बनता है। आरक्षण एक संवैधानिक मुद्दा है। इस पर संयम बरतना चाहिए। इस कानूनी मामले में सरकार की सबकमेटी को भी एकतरफा कार्रवाई न करते हुए सबका पक्ष सुनना चाहिए। इस संवेदनशील मामले में सरकार को गहराई से सोचने की जरूरत है।

-रविंद्र शर्मा, प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता