बरेली में लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने सीबीआई जांच की मांग की है। संघ ने मुख्यमंत्री को संबोधित 11 सूत्रीय ज्ञापन सीडीओ विनय कुमार तिवारी को सौंपा। ज्ञापन में मृतक की माता और पत्नी को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की भी मांग की गई है। परिजनों को मुआवजा देने की अपील भी की गई है।
कैराना। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के स्थानीय पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित 11 सूत्रीय ज्ञापन रविवार को सीडीओ विनय कुमार तिवारी को सौंपा। कहा कि बरेली में लेखपाल मनीष कश्यप अपहरण व हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराई जाए। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के स्थानीय पदाधिकारी संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजित पंवार व सह सचिव शुभम सरोहा ने बताया कि बरेली में एंटी भू-माफिया अभियान के तहत सरकारी भूमि पर अतिक्रमण जांच कार्य चल रहा है।
लेखपाल मनीष कश्यप के क्षेत्र में गंगा नदी की जमीन पर अवैध कब्जे का प्रकरण संज्ञान में आता है, जिसे लेकर लेखपाल का कब्जाधारी से विवाद भी होता है। इस बीच लेखपाल का स्थानांतरण कर दिया जाता है। 27 नवंबर को लेखपाल संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो जाता है।
15 दिसंबर मनीष का शव हुआ था बरामद
परिजनों द्वारा हंगामा-प्रदर्शन करने पर पुलिस लेखपाल की तलाश शुरू करती है। 15 दिसंबर को पुलिस एक नर कंकाल बरामद कर हत्या के रूप में घटना का राजफाश किया जाता है। फिरौती के लिए हत्या किया जाना घटना की वजह बताई जा रही है, जोकि संदेहास्पद है, क्योंकि फिरौती के लिए परिजनों से कोई मांग नही की गई।
ज्ञापन-पत्र में जांच सीबीआई अथवा सीआईडी से कराने, नर कंकाल क डीएनए जांच कराकर हत्या की स्थिति स्पष्ट किये जाने, मृतक की माता व पत्नी को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने आदि की मांग की गई है।
दो आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
ओमवरी, नन्हें और एक अन्य रिश्तेदार सूरज ने फिर से लेखपाल मनीष को कार में बैठाया और सूरज ने अपने मफलर से गला कसकर मनीष की हत्या कर दी। शव को कैंट के मिर्जापुर स्थित एक नाले के पास फेंका और हर दिन उसे देखते भी जाते थे। धीरे-धीरे शव सड़ना शुरू हुआ और उसे जानवर नोंच-नोंचकर खा रहे थे। आरोपित चाह रहे थे कि शव पूरी तरह से खत्म हो जाए, लेकिन उससे पहले ही गिरफ्तारी हो गई।
पुलिस ने पूरी घटना का राजफाश करते हुए सोमवार को ओमवीर और नन्हें को जेल भेज दिया। फरार दो अन्य आरोपित सूरज और नेत्रपाल की तलाश में भी टीमें लगी हुई हैं। पुलिस हिरासत में आरोपित ओमवीर उर्फ अवधेश व नन्हें से जब पूछताछ शुरू हुई तो धीरे-धीरे उन्होंने पूरी कहानी उगलना शुरू कर दिया।
अवधेश ने बताया कि लेखपाल मनीष कश्यप उसी की जाति का था। इसलिए दोनों की दोस्ती हो गई थी। फरीदपुर में तैनात होने की वजह से मनीष का छोटा-मोटा काम भी ओमवीर करा दिया करता था। जिसके बदले उसे थोड़ी बहुत कमीशन भी मिल जाया करती थी।
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