केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना पर काम ठीक से नहीं चल पा रहा है। मौजूदा समय में सिर्फ केन-बेतवा लिंक परियोजना पर काम चल रहा है। नदी जोड़ो परियोजना के पांच प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने प्राथमिकता की श्रेणी में रखा है। मगर चार पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है। केन-बेतवा परियोजना में केंद्र सरकार धन का आवंटन भी कर चुकी है।
नदियों को जोड़ने की परियोजना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में होने के बावजूद तेज गति से आगे नहीं बढ़ पा रही है। स्थिति यह है कि केवल एक केन-बेतवा लिंक परियोजना पर ही काम शुरू हो सका है और केवल इसी पर केंद्र सरकार ने अपनी ओर से धन का आवंटन किया है। नदियों को जोड़ने की पांच परियोजनाएं प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट की श्रेणी में हैं, लेकिन बाकी चार पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
केन-बेतवा परियोजना पर खर्च होंगे 44,605 करोड़
राज्यसभा में इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने बताया है कि केवल केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए बजटीय आवंटन किया गया है, जिस पर क्रियान्वयन आरंभ हो गया है
इस परियोजना को दिसंबर 2021 में मंजूरी दी गई है और इस पर 44,605 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इसमें केंद्र की सहायता 39,317 करोड़ रुपये होगी। अब तक इस पर 8,022 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जबकि इस परियोजना में शामिल दोनों राज्यों-मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने क्रमश: 4587 और 38 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
सरकार ने नहीं बताई समय सीमा
नदियों को जोड़ने के बारे में सबसे पहले 1980 में एक योजना आरंभ की गई थी, लेकिन इस विचार को असली गति अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में 2001 में दी गई। सदन में दिए गए जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने कहा है कि नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की समय सीमा नहीं बताई जा सकती, क्योंकि राज्यों का पानी की साझेदारी पर सहमत होना आसान नहीं है।
नदी जोड़ों परियोजना में क्या आ रही समस्या?
पानी को दूसरे राज्यों के साथ बांटने के लिए राज्यों की अनिच्छा और आपत्ति के कारण ही इस परियोजना के आगे बढ़ने में दिक्कत आ रही है। सरकार ने कहा है कि अगर संबंधित राज्य आपस में सहमति कायम कर लेते हैं तो लिंक प्रोजेक्ट के तौर-तरीके तय कर लिए जाते हैं और उनको संस्तुति प्रदान कर दी जाती है।
नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं पर क्रियान्वनय के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर बनी समिति की अब तक 21 बैठकें हो चुकी हैं। इसके अलावा एक टास्क फोर्स भी काम कर रहा है। मैदानी इलाकों के लिए कुल 16 परियोजनाओं में केवल छह में डीपीआर तैयार हो सकी है।
- Log in to post comments