पश्चिम बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को स्थगित रहा। इसकी वजह छह दिसंबर की तारीख थी। दरअसल इसी दिन 1992 को अध्योध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था। इसके विरोध में पहली बार विधानसभा का सत्र स्थगित किया गया। भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया। बंगाल सरकार वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ भी हैं।
कोलकाता। बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार लगातार वक्फ संशोधन विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही। विधेयक के खिलाफ शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कोलकाता में एक बड़ी रैली निकाली
मंगलवार को इसके खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था। इन सबके बीच छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के विरोध में शुक्रवार को बंगाल विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही स्थगित रही।
एकजुटता दिवस मनाती रहीं ममता
बंगाल विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार है कि जब छह दिसंबर को विवादित ढांचा ढहाए जाने की बरसी पर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित रखने का निर्णय लिया गया। शीतकालीन सत्र 10 दिसंबर तक चलेगा। गौरतलब है कि छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था। तभी से ममता बनर्जी विरोध स्वरूप उस दिन को एकजुटता दिवस के रूप में मनाती आ रही हैं।
पार्टी स्तर पर कार्यक्रम करती है टीएमसी
2011 में बंगाल की सत्ता में आने के बाद भी मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के आदेश पर हर साल छह दिसंबर को पार्टी स्तर पर कार्यक्रम होता है। इस बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र उसी समय चल रहा है। हालांकि शीतकालीन सत्र पहले भी इस दिन आयोजित होता रहा है, लेकिन छह दिसंबर को कभी छुट्टी नहीं होती थी। उस दिन विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर एकजुटता दिवस मनाने का कोई कार्यक्रम नहीं होता था। मगर इस बार राज्य सरकार ने विधानसभा की कार्यवाही स्थगित रखने का फैसला किया।
भाजपा ने लगाया तुष्टीकरण का आरोप
दरअसल, इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन किया। माना जा रहा है कि डेढ़ साल बाद होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल के मुस्लिम वोटों को साथ रखने के लिए ममता सरकार ने यह कदम उठाया है।
दूसरी ओर, राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा के विधायकों ने इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए मंगलवार को सदन में जमकर नारेबाजी की और जय श्रीराम के नारे लगाए थे। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि 2026 के आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर वोट की राजनीति और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए ममता सरकार ने छह दिसंबर को कार्यवाही स्थगित रखने का निर्णय लिया है।
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