
पहलगाम आतंकी हमले में कई महिलाओं की मांग उजड़ गई। आशान्या द्विवेदी का नाम भी इन्हीं में से एक है। यूपी के कानपुर में रहने वाली आशान्या की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी। वो अपने पति शुभम के साथ छुट्टियां मनाने पहलगाम पहुंची थीं। इस दौरान आतंकियों ने शुभम को अपना पहला शिकार बनाया। वहीं अब आशान्या पति को शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहीं हैं।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई। आतंकियों ने नवविवाहित जोड़ों को भी नहीं बख्शा। आतंकी हमले में उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले शुभम द्विवेदी की भी जान चली गई। वहीं, अब उनकी पत्नी आशान्या ने पति को 'शहीद' का दर्जा देने की मांग की है।
आशान्या ने बताया कि आतंकियों ने पहली गोली शुभम पर ही चलाई थी। आतंकियों से बहस के दौरान कई लोगों को वहां से भागने का मौका मिला, जिससे उनकी जान बच गई।
आशान्या ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आशान्या का कहना है कि शुभम ने गर्व के साथ खुद को हिन्दू बताया और कई लोगों की जान बचाई थी। पहली गोली मेरे पति को ही लगी। आतंकी उनसे उनका धर्म पूछ रहे थे। इस बहसबाजी में थोड़ा समय लगा, जिससे लोगों को वहां से बचकर भाग निकलने में मदद मिली।
आशान्या ने कहा -
मुझे सरकार से और कुछ नहीं चाहिए। बस मेरे पति को 'शहीद' का दर्जा दे दीजिए। अगर सरकार मेरी विनती मान लेती है तो मुझे जीने के लिए एक वजह मिल जाएगी।
12 फरवरी को हुई थी शादी
बता दें कि 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने 31 वर्षीय शुभम द्विवेदी को गोली मार दी थी। कानपुर के रहने वाले शुभम और आशान्या की शादी 12 फरवरी को हुई थी।
आतंकियों ने मुझे नहीं मारा: आशान्या
आशान्या अभी तक इस हादसे से पूरी तरह उबर नहीं सकी हैं। घटना को याद करते हुए आशान्या बताती हैं कि हम बैसरन घाटी में बैठकर मैगी खा रहे थे। तभी पीछे सेना की वर्दी में एक शख्स आया और उसने हमसे पूछा हिन्दू हो या मुस्लिम? हमें लगा शायद कोई मजाक कर रहा है। मैंने कहा क्यों भइया क्या हो गया? इस पर उसने फिर वही बात दोहराई, हिन्दू हो या मुस्लिम? हमने कहा हिन्दू और उसने शुभम के सिर में गोली मार दी। यह सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आया।
1 घंटे बाद पहुंची सेना
पति की मौत के बाद आशान्या ने आतंकियों से गुजारिश की कि मेरे पति को मार दिया तो मुझे भी मार दो। मगर, उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। आतंकियों ने कहा कि तुमको नहीं मारेंगे। तुम्हें जिंदा छोड़ रहे हैं ताकि तुम जाकर सरकार को बता सको कि हमने क्या किया है।
26 लोगों की गई थी जान
शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने बताया कि बैसरन घाटी में सुरक्षाबल तैनात नहीं थे। घटना के 1 घंटे बाद सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे हैं। इस बीच आतंकियों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतारा और मौके से फरार हो गए।
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