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इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने बड़ी भविष्यवाणी की है। उन्होंने दावा किया है कि सीएम नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे लेकिन बाद में पाला बदल सकते हैं। किशोर ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता कम हो गई है और भाजपा उन्हें एनडीए का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से बच रही है।

बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर भी चुनाव को लेकर एक्टिव हैं। उन्होंने बुधवार को बेतिया जिले में लोगों को संबोधित किया। इस दौरान, उन्होंने एक बड़ी भविष्यवाणी भी कर दी।

प्रशांत किशोर ने दावा किया कि सीएम नीतीश कुमार बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ेंगे, लेकिन बाद में पाला बदल सकते हैं।

मैं गलत साबित हुआ तो राजनीतिक अभियान छोड़ दूंगा

उन्होंने कहा कि नवंबर में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद नीतीश कुमार की जगह कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है। 

आप मुझसे यह बात लिखित में ले सकते हैं। अगर मैं गलत साबित हुआ तो मैं अपना राजनीतिक अभियान छोड़ दूंगा।'

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा यही करते हैं, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं और बाद में पाला बादल लेते हैं। केवल 2015 में उन्होंने ऐसा नहीं किया था, तब मैंने उनका अभियान संभाला था।

नीतीश कुमार की कम हुई लोकप्रियता

  • वहीं, किशोर ने यह भी दावा किया कि भाजपा नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से बच रही है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता अब कम हो गया है।
  • प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि मैं पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती देता हूं कि वे घोषणा करें कि चुनाव के बाद (अगर एनडीए सत्ता में आती है) नीतीश कुमार पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री होंगे। अगर वे ऐसा करते हैं, तो भाजपा को अपनी सीट बचाने में दिक्कत हो जाएगी।
  • पीके ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार को भाजपा एक और कार्यकाल के लिए समर्थन नहीं देने जा रही है, वे पाला बदलने की कोशिश कर सकते हैं।
  • वहीं, जदयू की जीती गई सीटों की संख्या इतनी निराशाजनक होगी कि उन्हें शीर्ष पद नहीं मिलेगा, चाहे वे किसी भी गठबंधन में शामिल हों।

पीके ने सीएम नीतीश को बताया बीमार

इतना ही नहीं प्रशांत किशोर ने यह तक कह दिया कि मुख्यमंत्री शारीरिक रूप से थक गए हैं और मानसिक रूप से भी रिटायर हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी मनःस्थिति के साथ वे बिहार पर शासन कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कुमार ने पिछले साल नई केंद्र सरकार के शपथ ग्रहण के समय कई अन्य मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में मोदी के पैर छूकर बिहार को बदनाम किया था।

किशोर ने पूछा कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री के प्रति इतनी ही श्रद्धा है, तो वे निजी तौर पर उनके पैर छू सकते थे। लेकिन वे कुर्सी पर बने रहने के लिए चाटुकारिता का सहारा ले रहे हैं।

वे भाजपा के साथ अपने प्रभाव का इस्तेमाल क्यों नहीं करते, जो अब केंद्र में सत्ता में बने रहने के लिए जदयू के समर्थन पर निर्भर है, ताकि बिहार में मरणासन्न चीनी उद्योग को पुनर्जीवित किया जा सके?

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