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प्रयागराज जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उमड़ी भीड़ को देखकर सागरपुर निवासी ओपिल सिंह ने तय किया कि अब वह प्रयागराज नहीं जाएंगे अपने घर लौट जाएंगे। सभी प्लेटफार्म पर बने पुल की ओर बढ़ चले। ओपिल की पत्नी बड़ी बेटी तो पुल पर चढ़ गईं लेकिन जब छोटी बेटी रिया सीढ़ियां चढ़ रही थी सीढ़ियों की सिर्फ सात सीढ़ियां बची थीं।
पश्चिमी दिल्ली। प्रयागराज जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उमड़ी भीड़ को देखकर सागरपुर निवासी ओपिल सिंह ने तय किया कि अब वह प्रयागराज नहीं जाएंगे, अपने घर लौट जाएंगे। सभी प्लेटफार्म पर बने पुल की ओर बढ़ चले।
रिया सीढ़ियों से लुढ़कने लगी
ओपिल की पत्नी, बड़ी बेटी तो पुल पर चढ़ गईं, लेकिन जब छोटी बेटी रिया सीढ़ियां चढ़ रही थी, सीढ़ियों की सिर्फ सात सीढ़ियां बची थीं, तभी लोगों का सैलाब आ गया और रिया सीढ़ियों से लुढ़कने लगी। एक कील उसके माथे पर चुभ गई और उसकी मौत हो गई।
स्थिति अचानक पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर
ओपिल का कहना है कि जब वह सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तो वहां कम से कम पांच हजार लोगों की भीड़ रही होगी, जिन्होंने अचानक पुल पर हमला कर दिया और नीचे की ओर बढ़ने लगे। स्थिति अचानक पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई। कोई बैग फेंक रहा था, कोई वीआईपी, कोई बोतल, कोई पुल से कुछ और फेंक रहा था। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
ओपिल ने भीषण हादसे का वर्णन किय
उन्होंने कहा कि हादसे में मरने वाले ज्यादातर लोग वे थे, जो अपने घर लौटना चाहते थे और या तो सीढ़ियां चढ़ रहे थे या सीढ़ियों के पास थे। भीषण हादसे का वर्णन करते हुए ओपिल कहते हैं कि हादसे में मरने वालों की जीभ बाहर निकली हुई थी। जो घायल हुए थे, उनकी नाक से खून बह रहा था। हर तरफ अफरातफरी का माहौल था। ओपिल को इस बात का अफसोस है कि उन्होंने आखिरी वक्त में घर लौटने का फैसला क्यों लिया। अगर उन्होंने घर लौटने का फैसला थोड़ा पहले ले लिया होता तो रिया आज जिंदा होती।
'घटना की जांच होनी चाहिए'
उल्लेखनीय है कि सागरपुर में जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, वह ओपिल को सांत्वना देने पहुंच गया। सांत्वना देने वालों में क्षेत्रीय विधायक प्रद्युम्न राजपूत भी शामिल थे। प्रद्युम्न ने कहा कि रिया के जाने से हम सभी दुखी हैं। इस दुख की घड़ी में हम सभी ओपिल के साथ हैं। अब इस घटना की जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
घर में मातम पसरा
वहीं, सगरपुर से थोड़ी दूर महावीर एन्क्लेव में रविवार को एक घर में मातम पसरा था। एक निजी अस्पताल में नर्स पूनम अपनी दो सहेलियों के साथ प्रयागराज जा रही थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। परिजनों का कहना है कि जब साढ़े आठ बजे पूनम से बात हुई तो पूनम ने कहा कि वह आगे नहीं जाएगी, वापस आ रही है, लेकिन अब कभी वापस नहीं आएगी।
रातभर दर-बदर अस्पताल में भटकते रहे
पूनम के पति वीरेंद्र का कहना है कि उन्हें हादसे की जानकारी रेलवे स्टेशन प्रबंधन से मिली। उन्हें फोन किया गया। लेकिन जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली। वह पूरी रात एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे। कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था। आखिर में शव लोकनायक अस्पताल में मिला।
शव होने की जानकारी नहीं दे रहा था प्रशासन
हालांकि वह वहां कम से कम दो बार जा चुके थे, लेकिन कोई भी पूनम का शव वहां होने की जानकारी नहीं दे रहा था। बाद में आरएमएल अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम हुआ। पूनम के बेटे अक्षत का कहना है कि मम्मी का फोन और बैग गायब है। हालांकि फोन बज रहा है। अक्षत का कहना है कि हादसे में मम्मी और उनकी एक सहेली की मौत हो गई है। माँ की एक सहेली जीवित है।
प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर भगदड़
जब रिया और पूनम प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर भगदड़ में फंसी थीं, उसी दौरान बिजवासन की बेबी को भी भीड़ कुचल रही थी। बेबी अपनी मौसी सागर देवी और चचेरी बहन खुशी के साथ कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंची थी।
घर लौटने के लिए पुल पर चढ़ें
सागर के पति बताते हैं कि उन्हें प्रयागराज के लिए 8 बजे की ट्रेन पकड़नी थी। वह ट्रेन कैंसिल हो गई। फिर उन्हें 9.05 की ट्रेन पकड़नी थी। भीड़ को देखकर तीनों ने तय किया कि वे आगे नहीं जाएंगे। उन्हें घर लौटना है। ये लोग भी लौटने के लिए पुल पर चढ़ रहे थे। तभी भीड़ आई और उन्हें बहा ले गई।
खुशी फिलहाल कलावती अस्पताल में भर्ती
सागर देवी और खुशी ने किसी तरह सीढ़ियों की रेलिंग पकड़ ली, लेकिन बेबी ऐसा नहीं कर सकी और भीड़ ने उन्हें कुचल दिया। सागर देवी और खुशी फिलहाल कलावती अस्पताल में भर्ती हैं। बेबी के शव को अंतिम संस्कार के लिए मोतिहारी स्थित उनके पैतृक घर ले जाया गया।
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