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दिल्ली में हो रहे मराठी साहित्य सम्मेलन के दौरान मंगलवार को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के हाथों एकनाथ शिंदे को महाद जी शिंदे गौरव सम्मान से विभूषित किया गया। इसे लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत नाराज हो गए। राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़ने का काम किया। ऐसे व्यक्ति को आखिर शरद पवार कैसे सम्मानित कर सकते हैं।

 मुंबई। मंगलवार को दिल्ली में शरद पवार के हाथों महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सम्मान से चिढ़े संजय राउत शरद पवार पर टिप्पणी करके बुरी तरह फंसते दिखाई दे रहे हैं। अब महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में उनपर चौतरफा हमले तो होते दिखाई ही दे रहे हैं, महाविकास आघाड़ी में बिखराव की संभावना और बढ़ गई है।

इस बार दिल्ली में हो रहे मराठी साहित्य सम्मेलन के दौरान मंगलवार को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के हाथों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महाद जी शिंदे गौरव सम्मान से विभूषित किया गया। इस अवसर पर सम्मान समारोह में महाद जी शिंदे के वंशज एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उपस्थित थे।

'गद्दारी से जुड़ा नहीं होता कोई सम्मान'

शरद पवार के हाथों एकनाथ शिंदे का सम्मान शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे को रास नहीं आया। उनकी पार्टी के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने बुधवार को इस सम्मान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शरद पवार पर तीखी टिप्पणियां कीं। राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना को तोड़ने का काम किया। ऐसे व्यक्ति को आखिर शरद पवार कैसे सम्मानित कर सकते हैं।

शरद पवार पर हमला संजय राउत तक ही सीमित नहीं रहा। पार्टी की दूसरी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इससे आगे बढ़ते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे की पार्टी तोड़नेवाले एकनाथ शिंदे को हम लोग गद्दार मानते हैं। ऐसे में अगर शरद पवार शिंदे को सम्मानित करते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या वह गद्दारी का सम्मान कर रहे हैं

प्रियंका ने आगे कहा कि यदि शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को गद्दारी से जुड़ा कोई सम्मान दिया होता, तो उस पर सवाल नहीं उठते। लेकिन जिस प्रकार का सम्मान दिया गया है, उस पर तो सवाल उठेंगे ही।

संजय राउत ने अपने बयान में एनसीपी में हुई टूट का भी जिक्र करते हुए कहा कि शरद पवार के परिवार के ही सदस्य अजीत पवार ने उनकी पार्टी तोड़ दी। उसके बाद शिवसेना (यूबीटी) बहुत सोच-समझकर अजीत पवार से संबंध रखती है। संजय राउत ने मराठी साहित्य सम्मेलन को भी दलालों का अड्डा बताते हुए कहा कि वहां राजनीतिज्ञों को दिया जानेवाला सम्मान खरीदा और बेचा जाता है।

संजय राउत पर चौतरफा हमला

हाल के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से शिवसेना महाविकास आघाड़ी में अपनी सहयोगी कांग्रेस पर तो लगातार हमले करती रही है, लेकिन शरद पवार पर पिछले पांच वर्ष में उसकी ओर से पहली बार इतना तीखा हमला किया गया है। इससे महाविकास आघाड़ी में दरारें चौड़ी होने के स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं।

दूसरी ओर राउत और प्रियंका चतुर्वेदी की टिप्पणी के बाद उनपर भी चौतरफा हमले शुरू हो गए हैं। एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट ने संजय राउत को राजनीति का खलनायक एवं शकुनी बताते हुए कहा है कि उनके कारण ही हम लोग शिवसेना से अलग हुए और महाविकास आघाड़ी बनने की नौबत आई।

शिरसाट ने संजय राउत द्वारा साहित्य सम्मेलन को दलालों का अड्डा बताए जाने पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसी भाषा का प्रयोग करना कतई उचित नहीं है। इसकी निंदा की जानी चाहिए।

'उद्धव ठाकरे पड़ गए हैं अकेले'

शिरसाट ने महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी के अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आघाड़ी रह कहां गई है। शिवसेना को न तो कांग्रेस पूछ रही है, ना ही एनसीपी (शरदचंद्र पवार)। अब कोई मातोश्री (उद्धव ठाकरे का निवास) नहीं जाता। अब वह अकेले पड़ गए हैं, और उनका अंत निश्चित है। शिरसाट ने सवाल उठाया है कि क्या अब उद्धव ठाकरे शरद पवार को भी गद्दार कहना शुरू कर देंगे।

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