बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा (रा) और रालोजपा अलग-अलग गठबंधन से जुड़कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन अतीत में लोजपा का इतिहास रहा है कि वह कभी भी विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव वाले गठबंधन से नहीं लड़ी। यह दोनों गठबंधनों के लिए चिंता का विषय है। वहीं रालोजपा का झुकाव महागठबंधन की तरफ है।
पटना। चाचा पशुपति कुमार पारस (रालोजपा) और भतीजा चिराग पासवान लोजपा (रा) अलग-अलग गठबंधन से जुड़कर विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अविभाजित लोजपा का अतीत दोनों गठबंधनों को डरा रहा है। 2003 में बनी लोजपा अब दो हिस्से में बंट चुकी है
पुरानी लोजपा का इतिहास यही है कि 2014-15 के अपवाद को छोड़ वह कभी भी विधानसभा का चुनाव लोकसभा चुनाव वाले गठबंधन से नहीं लड़ी। रालोजपा का झुकाव महागठबंधन की तरफ है। लोजपा (रा) एनडीए के साथ है। रालोजपा का झुकाव महागठबंधन की ओर है।
चिराग अभी एनडीए के साथ रहने का दावा भी करते हैं, लेकिन अतीत का स्मरण करते हुए चिराग के बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा रहा है। 2004 के लोकसभा चुनाव में लोजपा, यूपीए के साथ लड़ी, लेकिन 2005 के दो विधानसभा चुनावों में वह स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरी।
यूपीए सरकार में मंत्री थे रामविलास
लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान यूपीए सरकार में मंत्री थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में लोजपा और राजद के बीच गठबंधन था। 2010 के विधानसभा चुनाव में लोजपा अकेले लड़ गई। यह इतिहास 2020 में भी दोहराया गया। 2019 में एनडीए के घटक के रूप लोजपा लोकसभा का चुनाव लड़ी।
2020 के विधानसभा चुनाव में अलग लड़ी। पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान 2005 की तरह केंद्र सरकार में मंत्री भी थे। बीच चुनाव में ही आठ अक्टूबर को उनका निधन हो गया था
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने चिराग पासवान वाली लोजपा (रा) को ही असली मानकर उससे समझौता किया, लेकिन, इतिहास को याद रखते हुए एनडीए के अन्य घटक दल लोजपा (रा) को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं।
क्या है संकट?
- 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा इस तरह हुआ था- जदयू-115, भाजपा-110, विकासशील इंसान पार्टी-11 और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा-07।
- 2025 में विकासशील इंसान पार्टी अलग है, लेकिन राष्ट्रीय लोक मोर्चा जुड़ गया है। चिराग जुड़े रहे तो सीटों के बंटवारे का 2020 वाला फॉर्मूला लागू नहीं रह पाएगा।
- बिहार में जदयू न्यूनतम एक सौ एक सीट पर लड़ता रहा है। भाजपा भी एक सौ पार ही लड़ी है। भाजपा और जदयू बराबरी पर इसी हिसाब से लड़े तो दो सौ दो सीटें इनके बीच बंट जाएगी।
- बची 41 सीटों में चिराग के अलावा राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के लिए सीटें साधारण कार्यभार नहीं है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा का 40 सीटों का दावा आ चुका है।
महागठबंधन में है संभावना
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के 144 और कांग्रेस 70 उम्मीदवार थे। वाम दलों को 29 सीटें दी गई थीं। महागठबंधन के सभी दल कायम हैं। रालोजपा और विकासशील इंसान पार्टी का जुड़ाव हुआ है।
राजद और कांग्रेस की सीटों में कटौती कर नए दोनों मेहमानों को संतुष्ट किया जा सकता है, लेकिन यहां भी अतीत को याद किया जा रहा है, क्योंकि एकीकृत लोजपा जब हरेक चुनाव में अलग दरवाजा खोल लेती थी, उस समय रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस मुख्य पहरेदार हुआ करते थे।
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