Skip to main content

दिल्ली चुनाव 2025 में भाजपा विरोधी दलों के बीच टकराव ने विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका दिया है। इस स्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए समर्थन का फैसला करना मुश्किल हो गया है। एक का साथ देने से दूसरा खेमा नाराज हो सकता है। क्या है पूरा सियासी खेल? जानिए इस आर्टिकल में।

रांची। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में भाजपा विरोधी दलों के आपस में भिड़ने से विपक्षी एकता की कोशिशें नाकाम हो गई है। स्थिति यह है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस एक-दूसरे के विरुद्ध हमलावर है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चरम पर है

इससे राज्य में सत्तारूढ़ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) काफी हद तक द्वंद्व में है। इस परिस्थिति में चुनाव के दौरान खुलकर साथ देने में जोखिम है। एक का साथ देने से दूसरा खेमा नाराज हो सकता है।

क्या है पूरा सियासी खेल?

दरअसल, दिल्ली में बड़ी संख्या में झारखंड के लोग निवास करते हैं और प्रभावी होने के कारण झामुमो चुनाव में अपना प्रभाव दिखा सकता है। हालांकि, अभी तक किसी दल ने इसके लिए संपर्क नहीं किया है, लेकिन झामुमो के रणनीतिकार सतर्क हैं। इसे लेकर विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की अलग-अलग परिस्थिति का तर्क दिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के शीर्ष नेतृत्व के साथ आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के काफी अच्छे राजनीतिक संबंध हैं। दिल्ली दौरे के क्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) हमेशा उनसे मुलाकात कर राजनीतिक परिस्थितियों पर विमर्श करते हैं।

अरविंद केजरीवाल ने किया था हेमंत का समर्थन

केजरीवाल भी कई बार आकर रांची आकर विभिन्न मसलों पर हेमंत सोरेन से समर्थन की अपील कर चुके हैं। हेमंत सोरेन की जेल यात्रा के दौरान अरविंद केजरीवाल ने खुलकर उनके पक्ष में बातें कही थी। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल इसके विरुद्ध रांची में बुलाई गई आईएनडीएआईए की रैली में भी भाग लेने आई थीं।

हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरुद्ध दिल्ली में हुई रैली में हिस्सा लिया था। हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में भी केजरीवाल आए थे।

कांग्रेस के साथ झामुमो का पुराना राजनीतिक संबंध

उधर, कांग्रेस के साथ भी झामुमो का पुराना राजनीतिक संबंध है। राज्य में कांग्रेस के सहयोग से वे सरकार चला रहे हैं। हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आए थे। ऐसे में झामुमो फिलहाल तटस्थ रवैया अपनाने के पक्ष में है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, दिल्ली चुनाव की राजनीति से झामुमो को कोई फर्क नहीं पड़ता। झामुमो भाजपा विरोधी ताकतों के साथ मजबूती से हर स्तर पर खड़ा है।

News Category