
दिल्ली में नया एलिवेटेड रोड बनाया जाएगा। इसके बनने से आईजीआई एयरपोर्ट और गुरुग्राम जाने वालों की ट्रैफिक समस्या से राहत मिलेगी। स्टडी रिपोर्ट मिलने पर एनएचएआई डीपीआर तैयार करेगा। इस एलिवेटेड रोड का उद्देश्य दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे (एनएच-8) पर यातायात को कम करना और एयरपोर्ट तक आसान पहुंच की सुविधा देना है। 11 साल पहले बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की योजना वर्ष 2014 में बनी थी।
दक्षिणी दिल्ली। एयरपोर्ट से एम्स तक आपात स्थिति में मरीज को पहुंचाना हो या दिल्ली से किसी दूसरे शहर या देश के लिए फ्लाइट पकड़नी हो, अब दक्षिणी दिल्ली और गुरुग्रामवासियों को जाम से नहीं जूझना होगा।
एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने एम्स से एयरपोर्ट तक के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रस्ताव तैयार किया है। अब 27 मई से इसकी उपयोगिता जांची जाएगी। इसके लिए पेशेवर फर्म को आमंत्रित किया गया है। स्टडी रिपोर्ट आने के बाद डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी।
एनएचएआई की ओर से प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर।
एलिवेटेड कॉरिडोर का योजना 11 साल पहले पीडब्ल्यूडी ने तैयार की थी। केंद्र की भाजपा सरकार के साथ तत्कालीन आप गवर्नमेंट का समन्वय न बन पाने से योजना आगे नहीं बढ़ सकी थी। अब इसकी जिम्मेदारी एनएचएआई को सौंपी गई है।
साउथ दिल्ली की मुख्य सड़कों पर रहता है ट्रैफिक दबाव
हरियाणा के दो महत्वपूर्ण और बड़े जिले हैं गुरुग्राम और फरीदाबाद। दोनों दक्षिणी दिल्ली से जुड़े हैं। महरौली-गुरुग्राम रोड और आश्रम से फरीदाबाद रोड बॉर्डर तक हाल ही में चौड़ीकरण के लिए एनएचएआई को सौंपा गया है। दक्षिणी दिल्ली की मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक दबाव के देखते हुए एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रस्ताव तैयार हुआ।
पहले चरण में एम्स से लेकर एयरपोर्ट के नजदीक महिपालपुर बाइपास तक इसे आकार दिया जाएगा। इसके बाद महिपालपुर से आगे बढ़ाते हुए गुरुग्राम-फरीबाद रोड तक विस्तार दिए जाने की योजना है। दूसरे राज्यों के गंभीर मरीजों को कई बार एयरलिफ्ट कर एम्स लाया जाता है।
नहीं पड़ेगी ग्रीन कॉरिडोर बनाने की जरूरत
एम्स अंग पुनर्प्राप्ति बैंकिंग संगठन (ओआरबीओ) के लिए नोडल संस्था भी है। यहां भर्ती मरीजों को आर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए देश के किसी भी हिस्से से अंग मिल सकते हैं। डोनेट अंग को फ्लाइट से लाया जाता है। एक-एक सेकेंड कीमती होता है। एयरपोर्ट से एम्स तक बार-बार ग्रीन कॉरिडोर बनाने की जरूरत पड़ती है। वहीं दिल्ली हो या गुरुग्राम, एयरपोर्ट जाने के लिए लोगों को जाम से जूझना होता है।
ऐसे में एम्स से एयरपोर्ट और गुरुग्राम तक एलिवेटेड कॉरिडोर बाधारहित और सुगम यातायात उपलब्ध कराएगा। परियोजना से जुड़े एनएचएआई अधिकारी के मुताबिक कॉरिडोर की उपयोगिता का मूल्यांकन करने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। पेशेवर विशेषज्ञों से परियोजना की स्टडी कराई जाएगी।
रिपोर्ट के आधार पर पहले चरण में एम्स से एयरपोर्ट तक के लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा। उसके बाद इसे गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड तक विस्तार देने पर विचार किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक एम्स से एयरपोर्ट तक आठ किलोमीटर का डीपीआर तैयार होने के बाद महिपाल से गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड तक करीब 18 किलोमीटर तक एलिवेटेड कॉरिडोर को विस्तार देने पर विचार किया जाएगा।
वर्ष 2014 में पीडब्ल्यूडी ने बनाई थी योजना
एम्स से एयरपोर्ट तक बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर की योजना वर्ष 2014 में बनी थी। लोक निर्माण विभाग का प्रयास था कि आठ किलोमीटर कका फेज-4 यदि पूरा हो जाता है तो मयूर विहार फेज-एक से एयरपोर्ट तक लोगों को सिग्नल फ्री कॉरिडोर मिल सकेगा।
उस समय की दिल्ली की आप सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार में सहमति न बन पाने से योजना उलझ गई थी। योजना के बीच रेलवे की जमीन आ रही थी। उस समय रेलवे ने इस परियोजना के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया था। अब इस योजना की जिम्मेदारी एनएचएआई को सौंपी गई है।
तब पीडब्ल्यूडी को मिले थे ये सुझाव
परियोजना के लिए विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि जगह की कमी के चलते आने और जाने के लिए अलग-अलग कॉरिडोर बनाए जाएं। एयरपोर्ट जाने के लिए आइएनए मार्केट के पास एलिवेटेड कॉरिडोर शुरू किया जाए। इसे अरबिंदो मार्ग पर एम्स के सामने से ग्रीन पार्क होते हुए बाहरी रिंग रोड में आईआईटी के पास मिलाया जाए।
इसके साथ-साथ इस कॉरिडोर को महिपालपुर होते हुए एयरपोर्ट तक ले जाया जाए। एयरपोर्ट से बारापुला फेज-दो पर आने के लिए नेल्सन मंडेला मार्ग से अफ्रीका एवेन्यू के पास रिंग रोड के साथ-साथ एम्स के पास आकर इसे बारापुला में मिलाया जाए।
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