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कोलकाता स्थित गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने भारतीय नौसेना के लिए पहली बार स्वदेशी 30 एमएम नेवल सर्फेस गन का सफल समुद्री परीक्षण किया है। यह परीक्षण स्वदेशी इलेक्ट्रो ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करके किया गया। जीआरएसई द्वारा डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पर यह परीक्षण किया गया जो कंपनी के लिए एक मील का पत्थर है।

कोलकाता। युद्धपोत निर्माता रक्षा पीएसयू गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई), कोलकाता ने अब हथियार निर्माण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाते हुए भारतीय नौसेना के लिए पहली बार निर्मित स्वदेशी 30 एमएम नेवल सर्फेस गन (एनएसजी) का सफलतापूर्वक समुद्री परीक्षण कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

कंपनी द्वारा गुरुवार को एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि स्वदेशी इलेक्ट्रो आप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करके सटीक निशाना के साथ इसका सफल परीक्षण किया गया।

जीआरएसई के लिए एक मील का पत्थर

कंपनी ने एक अधिकारी ने कहा कि जीआरएसई द्वारा डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) में से एक पर किए गए सफल समुद्री परीक्षण जीआरएसई के लिए एक मील का पत्थर है, जो देश के लिए जहाज निर्माता होने के अलावा एक सक्षम हथियार निर्माण कंपनी बनने की दिशा में अग्रसर है।

भारतीय नौसेना ने पहली बार 30 एमएम का ऑर्डर दिया

अधिकारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि जीआरएसई और मेसर्स बीएचएसईएल (हैदराबाद) के साथ-साथ मेसर्स एल्बिट सिस्टम्स लैंड के बीच बहुत मजबूत गठजोड़ से संभव हुई है, जो गन प्रोजेक्ट के लिए प्रौद्योगिकी और उत्पादन भागीदार हैं। भारतीय नौसेना ने जीआरएसई को पहली बार 30 एमएम के 10 स्वदेशी नेवल सर्फेस गन के लिए आर्डर दिया था।

कहां इस्तेमाल होता है ये सर्फेस गन?

यह सर्फेस गन युद्धपोतों में इस्तेमाल होता है और बहुत ही ताकतवर होता है। 30 मिमी नौसैनिक सर्फेस गन मुख्य रूप से छोटे जहाजों पर प्राथमिक हथियार के रूप में तथा बड़े जहाजों पर तेज गति से आने वाले सतही खतरों/लक्ष्यों से निपटने के लिए द्वितीयक हथियार के रूप में स्थापित की जाएगी।

भारतीय नौसेना के लिए लाभदायक साबित होगा सर्फेस गन

अधिकारी ने बताया कि इस सर्फेस गन को जीवित लक्ष्यों पर फायरिंग के साथ व्यापक समुद्री परीक्षणों से पहले कारखाने में कठोर गुणवत्ता जांच से गुजरना पड़ा है। गन सिस्टम अत्यधिक सटीक और विश्वसनीय है और यह भारतीय नौसेना के तकनीकी रूप से बेहतर हथियार प्रणालियों के भंडार में एक अत्यंत शक्तिशाली साबित होगा। जीआरएसई के अध्यक्ष व प्रबंधक निदेशक (सीएमडी) कमोडोर पीआर हरि ने अपने उत्पादों में युद्धपोतों से लेकर हथियारों तक की श्रृंखला पर गर्व जताया है। कंपनी का कहना है कि अब हम सिर्फ युद्धपोत ही नहीं बल्कि स्वदेशी हथियार बनाने में भी सक्षम हैं।

गन निर्माण के लिए एक नया व्यावसायिक खंड स्थापित किया

अधिकारी ने कहा कि रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में अपने प्रयासों के तहत अग्रसर जीआरएसई ने 30 मिमी नौसैनिक सरफेस गन जैसे तकनीकी रूप से उन्नत हथियार प्रणाली के स्वदेशीकरण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। इसके लिए कंपनी ने एक नया व्यावसायिक खंड स्थापित किया है, जो भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए इलेक्ट्रो-आप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम से युक्त नौसैनिक गन का निर्माण और आपूर्ति करेगा।

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