Skip to main content

गाजीपुर के अंधऊ और शहबाजकुली में सेना की हवाई पट्टी की जमीन पर अतिक्रमण से गांवों के अस्तित्व पर खतरा है। प्रयागराज रक्षा संपदा कार्यालय के अनुसार बिराइच और शहबाजकुली में सबसे अधिक निर्माण हुआ है। अतिक्रमण हटाने पर सैकड़ों लोग बेघर हो जाएंगे। राजस्व अधिकारियों के मुताबिक कई गांवों के मकान ध्वस्त होंगे। टीम भूमि की तलाश कर रही है। तहसील प्रशासन की उदासीनता के कारण अतिक्रमण हुआ।

गाजीपुर। अंधऊ व शहबाजकुली में भारतीय सेना के भूमि पर बने हवाई पट्टी की जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनवाने पर कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। रक्षा संपदा कार्यालय प्रयागराज की मानें तो सबसे ज्यादा पक्का निर्माण बिराइच व शहबाजकुली गांव में हुआ है। ऐसे में अगर अतिक्रमण को हटा दिया गया तो सैकड़ों लोग बेघर और भूमिहीन हो जाएंगे। बिराइच गांव का उत्तरी छोेर तो पूरी तरह समाप्त हो जाएगा, जबकि अंधऊ गांव के पश्चिमी छोर पर बने मकान धराशायी कर दिए जाएंगे।

शहर से सटे चकहुसाम, चकदराब, बीकापुर, बकुलियापुर, चंदनबहा, मिट्ठनपारा, कपूरपुर, फतेहपुर, सिकंदर, रजदेपुर, खिदिराबाद, चकजिवधर, माधोपुर मिश्रवलियां, मिश्रवलिया, देवकठियां व खैरूल्लहपुर के काफी लोग कार्रवाई के जद में आ जाएंगे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी हवाई पट्टी की 507.72 भूमि पर कब्जा एक दो वर्षों में नहीं बल्कि कई दशकों में हुआ है। शुरू में लोग हवाई पट्टी को तोड़कर खेती करना शुरू किए। बाद में धीरे-धीरे मकान का निर्माण कर लिया गया।

इस भूमि पर कई विद्यालय भी संचालित होते हैं। अंधऊ गांव के पश्चिमी छोर पर जितने भी निर्माण हुए हैं, सब हवाई पट्टी की भूमि पर हुए हैं। राजस्व अधिकारियों की मानें तो अतिक्रमण की जद में बिराइच के करीब 150 घर, चकहुसाम के करीब 15, खैरूल्लहपुर के 25-30 घर कार्रवाई की जद में आएंगे। इसी तरह बीकापुर, बकुलियापुर, चंदनबहा, मिट्ठनपारा, कपूरपुर, फतेहपुर, सिकंदर, रजदेपुर, खिदिराबाद, चकजिवधर, माधोपुर मिश्रवलियां, मिश्रवलिया, देवकठियां के काफी लोगों का मकान ध्वस्त हो जाएगा।

एक-एक इंच भूमि तलाश रही टीम

भारत सरकार के निर्देश पर जनपद पहुंची रक्षा संपदा प्रयागराज की टीम एक-एक इंच भूमि की तलाश कर रही है। सरकारी अभिलेख में जहां-जहां भूमि दिख रही है, वहां जाकर अतिक्रमण के बाबत जानकारियां इकट्ठा की जा रही है। जहां पक्का निर्माण हुआ है, उन्हें जल्द से हटाने का निर्देश भी दिया जा रहा है।

तहसीलकर्मियों की उदासीनता से जमीन पर हुआ कब्जा

एयरपोर्ट और सेना की जमीन के प्रति तहसील प्रशासन ने भी उदासीनता बरती है, जिसके कारण जमीन पर दिनों दिन कब्जा होता है। लोगों ने पहले खेती शुरू की।बाद में मकान बनाना शुरू कर दिया, लेकिन सरकारी जमीन पर मकान निर्माण का तहसील ने विरोध नहीं किया। तभी तो सैकड़ों मकान सरकारी जमीन पर खड़े हो गए। अब जब सेना ने अपनी जमीन खाली कराने के लिए पैमाइश शुूरू कर दी है, तब तहसील प्रशासन की भी नींद टूटी है।

News Category