उत्तर प्रदेश में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इनमें राइट ऑफ वे नियम-2024 को एक जनवरी 2025 से लागू करना सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित शुल्क का 90 प्रतिशत हिस्सा आवेदन के 15 दिनों के भीतर वापस करना और आवेदन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए पोर्टल को अपग्रेड करना शामिल है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डिजिटल कनेक्टिविटी को नई दिशा देने के लिए योगी सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। हाल ही में हुई राज्य ब्रॉडबैंड समिति की दूसरी बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार एक जनवरी 2025 से ‘राइट ऑफ वे’ नियम-2024 लागू किया जाएगा।
नए नियमों के तहत, सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित शुल्क का 90 प्रतिशत हिस्सा आवेदन के 15 दिनों के भीतर वापस किया जाएगा। वहीं, अगर किसी आवेदन को अस्वीकार किया जाता है, तो उसका कारण सात दिनों में बताना अनिवार्य होगा।
पारदर्शिता के लिए अपग्रेड हो रहा पोर्टल
यदि 15 दिनों के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, तो आवेदन स्वीकृत माना जाएगा। आवेदन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए पोर्टल को अपग्रेड किया जा रहा है। इस योजना से इंटरनेट की पहुंच में सुधार होगा और दूरस्थ क्षेत्रों में भी बेहतर कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित होगी।
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत राज्य की यूटिलिटी डक्ट्स का उपयोग दूरसंचार लाइनों के विस्तार के लिए किया जाएगा। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को प्रति वर्ष प्रति मीटर छह रुपये की दर से यूटिलिटी डक्ट्स का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
वहीं, गांव-गांव तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने के लिए भारतनेट और फोर जी परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी गई है। भारतनेट योजना के तहत प्रदेश की ग्राम पंचायतों में लगे उपकरणों की देखभाल और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम विकास अधिकारियों और सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए राज्य सरकार ने 300 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को उद्योग के रूप में मान्यता
राज्य में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को उद्योग के रूप में मान्यता देते हुए इसे औद्योगिक दरों पर बिजली शुल्क देने की सिफारिश की गई है, जैसा कि महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, और हरियाणा जैसे राज्यों में है।
बता दें कि डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आगरा, वाराणसी और नोएडा जैसे जिलों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जबकि लखनऊ और सोनभद्र जैसे जिलों में सुधार की आवश्यकता बताई गई है। अब सरकार ने कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों को अतिरिक्त तकनीकी सहायता और संसाधन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
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