रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय लाओस के दौरे पर हैं जहां पर उन्होंने 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक और (एडीएमएम प्लस) में चीन के डोंग जून समेत अपने समकक्षों को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हम सभी को भगवान बुद्ध के शांति और सहअस्तित्व के सिद्धांत को और गहराई से अपनाना चाहिए।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए गुरुवार को कहा कि विश्व को जारी युद्धों और अंतरराष्ट्रीय क्रम की चुनौतियों के समाधान के लिए बुद्ध के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत ने हमेशा से बातचीत का रास्ता अपनाया है और इसकी वकालत भी करता है।
बुद्ध के शांति सिद्धांत को अपनाएं
लाओस दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक और (एडीएमएम प्लस) में चीन के डोंग जून समेत अपने समकक्षों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विश्व का तेजी से विभिन्न क्षेत्रों और खेमों में ध्रुवीकरण हो रहा है। इससे स्थापित वर्ल्ड आर्डर में तनाव पैदा हो रहा है।
दस देशों का आसियान सम्मेलन लाओस की राजधानी वियनतियाने में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदस्य देशों से आग्रह किया कि हम सभी को भगवान बुद्ध के शांति और सहअस्तित्व के सिद्धांत को और गहराई से अपनाना चाहिए
भारत ने हमेशा बातचीत का रास्ता चुना
इन सिद्धांतों का पालन करते हुए ही भारत ने जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को बातचीत से सुलझाया है। भारत हमेशा से स्पष्ट बातचीत और शांतिपूर्ण समझौते के लिए प्रतिबद्ध रहा है। भारत ने सीमा विवादों से लेकर व्यापारिक समझौतों और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के लिए यही रास्ता चुना है। खुलकर बातचीत करने से विश्वास, आपसी समझ और सहयोग की नींव रखी जाती है जो स्थायी साझेदारी के लिए जरूरी है। बातचीत की ताकत हमेशा प्रभावी और सकारात्मक नतीजे देने वाली होती है। इससे वैश्विक मंच पर तालमेल और स्थिरता बढ़ती है।
प्रशांत क्षेत्र पर भारत का रुख
हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आसियान के दस देशों की भूमिका को क्षेत्रीय शांति व समृद्धि के लिए अच्छी तरह समझता है। इस संबंध में भारत आचार-संहिता के निर्धारण पर ऐसे मानक देखना चाहता है जो किसी पूर्वाग्रह से वैधानिक अधिकार निर्धारित नहीं करें। उन्होंने दक्षिण चीन सागर के लिए भी आचार संहिता होने पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र के विभिन्न देश चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के दबाव को झेल रहे हैं। ध्यान रहे, चीन आचार संहिता का कड़ा विरोध करता है।
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