आज है Kaal Bhairav Jayanti 2024, एक क्लिक में जानें पूजन विधि और प्रिय भोग, पुष्प से लेकर सब कुछ
काल भैरव जयंती का दिन बहुत ही खास होता है। इस दिन साधक पूजा-पाठ और उपवास रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि भैरव बाबा बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उनकी पूजा भक्तों को अवश्य करनी चाहिए। इस साल काल भैरव जयंती 22 नवंबर 2024 यानी आज मनाई जा रही है तो चलिए इस दिन की सही पूजन विधि जानते हैं।
MahaKumbh 2025: नागा संन्यासियों की इन 15 तस्वीरों से नहीं हटा पाएंगे नजर! संगमनगरी में हुआ जोरदार स्वागत
महाकुंभ के दिव्य-भव्य आयोजन के लिए संगम की रेती पर बसाई जा रही तंबुओं नगरी में जलापूर्ति के लिए लगभग 1249 किमी की पाइप लाइन बिछाई जा रही है। सीएम योगी के निर्देशों पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण और प्रदेश के सभी प्रमुख विभाग युद्धस्तर पर विकास कार्य में लगे हुए हैं। वहीं प्रयागराज में नागा सन्यासियों का आगमन शुरू हो चुका है।
वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी!, 6 मिनट में कटड़ा से पहुंचेंगे सांझीछत; रोपवे परियोजना को मिली मंजूरी
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने कटड़ा से सांझीछत तक रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना से श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी खासकर बुजुर्ग दिव्यांग और शारीरिक रूप से अक्षम यात्रियों को। केबल कार में सवार होकर श्रद्धालु मात्र 6-8 मिनट में ताराकोट से सांझीछत तक पहुंच सकेंगे। यह परियोजना करीब 350 करोड़ रुपये की लागत से दो साल में पूरी होगी।
Kartik Purnima 2024: शाम के समय जरूर करें सत्यनारायण भगवान की आरती, मिलेगा पूर्णिमा व्रत का पूरा फल
कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचांग के आधार पर इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस तिथि पर शुभ कार्य जैसे- गंगा स्नान सत्यनारायण व्रत और दीपदान अवश्य करना चाहिए। इससे धन-वैभव की प्राप्ति होती है तो आइए यहां पर सत्यनारायण भगवान की आरती पढ़ते हैं।
कब से शुरू हुआ स्नान? हर-हर गंगे के जयघोष से गूंजा यूपी का मखदूमपुर गंगा घाट
मखदूमपुर घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया। मध्य रात्रि से शुरू हुआ स्नान शुक्रवार तड़के तक जारी रहा। मेले में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा लेकिन घाट पर अतिक्रमण और कमजोर व्यवस्था के कारण कई समस्याएँ पैदा हुईं। जाम की स्थिति के साथ-साथ महिलाओं को कपड़े बदलने में परेशानी का सामना करना पड़ा।
देव दीपावली: मां गंगा पहनेंगी 17 लाख दीपों का चंद्रहार, देवाें के स्वागत को काशी तैयार
काशी में देव दीपावली पूरी भव्यता के साथ मनाई जाएगी। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए गंगा घाट पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री योगी केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या समेत अन्य राज्यमंत्री व दर्जनों वीवीआइपी व देश-विदेश के पर्यटकों की मौजदूगी रहेगी। पांच घंटे काशी प्रवास के दौरान उप राष्ट्रपति 90 करोड़ से तैयार नमोघाट का लोकार्पण करेंगे।
Dev Uthani Ekadashi 2024: अपने इस वचन को निभाने के लिए योग निद्रा में जाते हैं श्री हरि, बेहद रोचक है वजह
देवउठनी एकादशी व्रत को बेहद शुभ माना गया है। इस व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर नारायण की आराधना करने से सभी मुश्किलों का अंत होता है। वहीं यह दिन (Dev Uthani Ekadashi 2024) शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है।
Bhai Dooj 2024 Tilak: इन चीजों से करें भाई दूज पर तिलक, रखें इन बातों का ध्यान
भाई दूज का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार करती हैं। वहीं भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का अमिट वादा करते हैं। इस पर्व को (Bhai Dooj 2024 Tilak Tips) को भैया दूज भाऊ बीज भात्र द्वितीया भाई द्वितीया और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
Diwali 2024: इस व्रत कथा के बिना अधूरी है मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा, नहीं होगी कभी धन की कमी
धार्मिक मत है कि दीवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। वहीं भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है।
Deepotsav 2024: एक साथ दो कीर्तिमानों की साक्षी बनी रामनगरी, 35 मिनट में जलाए गए 25 लाख से अधिक दीये
अयोध्या में आयोजित आठवां दीपोत्सव ऐतिहासिक रहा जिसमें दो विश्व कीर्तिमान स्थापित हुए। राम की पैड़ी पर 25 लाख से अधिक दीये 35 मिनट में जलाए गए और सरयू माता की महाआरती में 1600 साधु-संत और भक्त शामिल हुए। यह आयोजन वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और अब यह पहला सांस्कृतिक आयोजन है जिसने एक ही समय में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किए।