उत्तर-प्रदेश परीक्षा अध्यादेश में केंद्र निर्धारण के कड़े मानकों के कारण पीसीएस परीक्षा में आवेदन करने वाले 5.76 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा एक दिन में कराने में मुश्किलें बढ़ीं तो आयोग ने 26 और 27 अक्टूबर को परीक्षा कराने का विकल्प तैयार किया। इन दोनों दिनों में परीक्षा के लिए जिलाधिकारियों के माध्यम से जिलों से केंद्रों से सहमति भी ले ली गई थी लेकिन मुश्किल का हल नहीं निकला।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) प्रारंभिक परीक्षा फिर टल सकती है। आयोग ने 26 और 27 अक्टूबर को होने वाली पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा सात और आठ दिसंबर को कराने का विकल्प तैयार किया है।
इसके पीछे अपरिहार्य कारण बताया जा रहा है। आयोग के सचिव की ओर से जिलाधिकारियों को जारी पत्र में उन सभी केंद्रों से सात और आठ दिसंबर के लिए सहमति लेने को कहा है, जिन्होंने 26 और 27 अक्टूबर के लिए सहमति दी है। अगले सप्ताह होने वाली बैठक में आयोग परीक्षा की तिथि की आधिकारिक घोषणा कर सकता है।
आरओ/आरओ पेपर लीक प्रकरण के बाद आयोग ने 17 मार्च को प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को टाल दिया था। इसके बाद चार जून को जारी संशोधित कैलेंडर में पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 27 अक्टूबर को प्रस्तावित की थी, लेकिन एक दिन में परीक्षा कराने की तैयारी में परीक्षा केंद्रों की कमी रोड़ा बन गई।
अब दस अक्टूबर को प्रदेश के जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में आयोग ने अपरिहार्य कारणों को आधार बनाकर पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा सात और आठ दिसंबर को कराने की जानकारी दी है। आयोग ने जिलाधिकारियों से 480 और 384 अभ्यर्थियों की बैठने की क्षमता वाले परीक्षा केंद्रों की सहमति 17 अक्टूबर तक आयोग को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।
साथ ही कहा है कि सहमति जनपद स्तरीय समिति की अनुशंसा के साथ होनी चाहिए। दूसरी तरफ आयोग ने अभी 26 और 27 अक्टूबर की परीक्षा के विकल्प को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। आयोग सूत्रों के अनुसार अगले सप्ताह होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय होगा।
आखिर दिसंबर में कैसे पूरी होगी केंद्रों की कमी
आयोग ने 26 और 27 अक्टूबर को परीक्षा कराने की तैयारी की थी पर परीक्षार्थियों की संख्या के अनुसार दो दिन की परीक्षा के लिए भी केंद्रों की कमी बनी रही। ऐसे में आयोग ने दिसंबर में परीक्षा का विकल्प तैयार किया है। अगले सप्ताह होने वाली बैठक में आयोग पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा दिसंबर में ही कराने का निर्णय लेता है तो 22 दिसंबर को प्रस्तावित आरओ/आरओ की परीक्षा पर इसका प्रभाव पड़ेगा और इस परीक्षा के टलने के भी आसार बढ़ जाएंगे।
यूपीपीएससी के नए कैलेंडर में शामिल हो सकती हैं अटकी भर्तियां
वर्षों से अटकी भर्तियों के इंतजार में ओवरएज हो रहे अभ्यर्थियों के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) का वर्ष 2025 का कैलेंडर राहत भरा हो सकता है। समकक्ष अर्हता, परीक्षा योजना, पाठ्यक्रम संशोधन जैसी अड़चनों के कारण तीन से पांच वर्ष तक अटकी तमाम भर्तियों को आयोग के अगले वर्ष के कैलेंडर में जगह मिल सकती है।
इनमें राजकीय डिग्री कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रवक्ता-एलटी राजकीय इंटर कालेज, सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा और पीसीएस-जे जैसी प्रमुख भर्तियां शामिल हैं। आयोग 2025 के कैलेंडर में उन कई भर्तियों को स्थान देने की योजना बना रहा है, जो कुछ वर्षों से लंबित हैं और 2024 के कैलेंडर में जगह नहीं बना पाईं।
इनमें से लगभग सभी भर्तियों का अधियाचन (रिक्त पदों का विवरण) पहले ही आयोग को प्राप्त हो चुका है, लेकिन परीक्षा योजना, समकक्ष अर्हता और पाठ्यक्रम में संशोधन सहित अन्य कारणों से आयोग ने कई भर्तियों से संबंधित अधियाचन लौटा दिया था। दूसरी तरफ भर्तियों को लेकर मुख्यमंत्री की प्राथमिकता पर विभागों ने अड़चनों को दूर करने की प्रक्रिया तेज कर दी है
राज्य अभियंत्रण सेवा को मिल सकता है कैलेंडर में स्थान
सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा भर्ती के लिए 100 पदों के लिए अधियाचन मिल चुका है। परीक्षा योजना, पाठ्यक्रम के संशोधन में देरी हुई थी। आयोग ने 2024 के कैलेंडर में इस भर्ती के संबंध में जानकारी साझा कर आरक्षित तिथियों में परीक्षा की तैयारी की थी, विज्ञापन जारी नहीं हुआ। बीईओ भर्ती को करीब 80 रिक्तियों का अधियाचन प्राप्त हो चुका है।
जीआइसी प्रवक्ता और एलटी ग्रेड भर्ती की अड़चन होगी दूर
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए 6000 रिक्त पदों का और राजकीय इंटर कालेज में प्रवक्ता पदों पर भर्ती के लिए 1000 रिक्त पदों का अधियाचन मिल चुका है। जीआइसी प्रवक्ता और एलटी ग्रेड भर्ती में अड़चन बना समकक्ष अर्हता का विवाद लगभग सुलझ गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने समकक्ष अर्हता शब्द हटाते हुए आयोग को सहमति के लिए भेजा है और आयोग की सहमति के बाद दोबारा अधियाचन भेजा जाएगा। इसमें रिक्त पदों की संख्या बढ़ सकती है।
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