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दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 100 से ज़्यादा हत्याओं में शामिल सीरियल किलर डॉक्टर देवेन्द्र शर्मा को गिरफ़्तार किया। डॉक्टर डेथ नाम से कुख्यात वह पैरोल से फ़रार था और राजस्थान में बाबा बनकर रह रहा था। उसने 1995 से 2004 के बीच हत्याएँ कीं और शव नहर में फेंक दिए। 2004 में किडनी रैकेट का भी पर्दाफ़ाश हुआ था जिसमें वह शामिल था।

क्राइम ब्रांच की टीम ने सौ से अधिक हत्या के मामलों में शामिल रहे पैरोल जंपर व कुख्यात सीरियल किलर डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान थाना छबड़ा, गांव पुरैनी अलीगढ़ निवासी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा के रूप में हुई है, जिसे डॉक्टर डेथ के नाम से भी जाना जाता था। आरोपी ने अपने गिरोह के साथ मिलकर वर्ष 1995 से 2004 के बीच सौ से अधिक हत्याएं की थीं।

पुलिस से बचने के लिए वह शवों को कासगंज की हजारा नहर में ले जाकर फेंक देता था, जिन्हें नहर में मगरमच्छ खा जाते थे। वर्ष 1998 से 2004 के बीच उसने डॉ. अमित के साथ मिलकर अवैध रूप से 125 लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट भी कराया था। वर्ष 2004 में उसकी गिरफ्तारी के बाद सीरियल किलिंग व किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश हुआ था।

देवेंद्र के खिलाफ 21 हत्या के मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। उसे दिल्ली में सात मामलों में आजीवन कारावास व गुरुग्राम में एक मामले में फांसी की सजा हो चुकी है। नौ जून 2023 को वह दो माह की पैरोल पर बाहर आया था। इसके बाद उसने सरेंडर नहीं किया।

बाद में वह राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में बाबा बनकर रह रहा था। वहां वह आश्रम में लोगों को दवा देकर उनका इलाज कर रहा था। क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे दौसा से गिरफ्तार किया है। डॉ. देवेंद्र बीएएमएस डॉक्टर है। उसने करीब एक दशक तक राजस्थान में अपना अस्पताल भी चलाया।

क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर आदित्य गौतम के मुताबिक उनकी टीम पैरोल जंपर अपराधियों की तलाश में लगी हुई है। इसी कड़ी में उन्हें डॉ. देवेंद्र के लापता होने की जानकारी मिली। उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए इंस्पेक्टर राकेश कुमार, अनुज कुमार व अन्य की टीम बनाई गई। आरोपी को नौ जून 2023 को पैरोल मिली थी। उसे तीन अगस्त 2023 को सरेंडर करना था।

करीब छह माह तक जयपुर, दिल्ली, अलीगढ़, आगरा व प्रयागराज में टीमें उसकी तलाश में लगी रहीं। इसी बीच उसकी लोकेशन दौसा राजस्थान मिली। तुरंत एक टीम दौसा भेजी गई। आरोपी वहां एक आश्रम में बाबा बनकर रह रहा था, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने बताया कि वर्ष 2020 में भी वह पैरोल लेने के बाद गायब हो गया था।

उस समय छह माह बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर वापस जेल अधिकारियों को सौंप दिया था। उसने बताया कि 50 हत्याओं के बाद उसे गिनती भी याद नहीं है। उसने बिहार से बीएएमएस किया था। उसके पिता सीवान में एक फार्मा कंपनी में तैनात थे। 1984 में पढ़ाई पूरी करने के बाद वह राजस्थान के दौसा आ गया। यहां उसने जनता क्लीनिक नाम से अपना अस्पताल शुरू किया।

करीब 11 साल तक डॉक्टरी करने के बाद टावर लगाने के नाम पर उससे 11 लाख रुपये ठग लिए गए। इसके बाद वह अपराध की दुनिया में आ गया। शुरुआत में वह फर्जी गैस एजेंसी के नाम पर ठगी करता था। बाद में उसने अपना गिरोह बना लिया। वह टैक्सी और ट्रक बुक करता था। ड्राइवरों की हत्या करने के बाद उनके शवों को ठिकाने लगा देता था।

उनकी टैक्सी और ट्रक ग्रे मार्केट में अच्छे दामों पर बेच देता था। आरोपी के मुताबिक उसे 50 हत्याओं तक की गिनती याद है, इसके बाद उसके गिरोह ने कितने लोगों की हत्या की, इसकी गिनती भी उसे याद नहीं है।

हत्या कर हजार नहर में फेंक देते थे शव

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि टैक्सी और ट्रक चालकों की हत्या करने के बाद उनके शव कासगंज की हजारा नहर में फेंक दिए थे। इस नहर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ थे। ऐसा सिर्फ पुलिस से बचने के लिए किया गया था। मगरमच्छ शवों को निगल जाते थे। 2004 में आरोपियों की पहली गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम को वहां से कुछ नहीं मिला था। आरोपियों ने 100 से ज्यादा लोगों की हत्या कर शवों को यहां ठिकाने लगाने की बात कही है।

पांच से सात लाख रुपये में होता था किडनी का सौदा

पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसकी मुलाकात डॉ. अमित से वर्ष 1998 में हुई थी। डॉ. अमित ने दिल्ली, गुरुग्राम और कई अन्य शहरों में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का अड्डा बना रखा था। अमित ने उससे किडनी डोनर लाने को कहा। जब वे एक डोनर के लिए 5 से 7 लाख रुपए देने को तैयार हो गए तो देवेंद्र इसके लिए राजी हो गया।

वह बिहार, बंगाल और नेपाल के गरीब लोगों को लालच देकर डॉ. अमित के पास लाता था। इन लोगों ने वर्ष 1998 से 2004 के बीच 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए। वर्ष 2004 में गुरुग्राम में किडनी रैकेट मामले में देवेंद्र और अमित को गिरफ्तार किया गया था।

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