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बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों में संविदा एवं आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों द्वारा भेजी जा रही फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट पर रोक लगा दी है। विभाग ने पाया कि इन कर्मियों द्वारा भेजे गए डाटा में गंभीर गड़बड़ियां हैं। अब केवल शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के अधिकारी ही विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। इस कदम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित करने की उम्मीद है।
पटना। बिहार के सरकारी विद्यालयों में संविदा एवं आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों के निरीक्षण रिपोर्ट संबंधी डाटा फर्जी पाए जाने का मामला सामने आया है। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने संबंधित कर्मियों द्वारा विद्यालयों के निरीक्षण कार्य पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है और उन सब को निरीक्षण से मुक्त कर दिया गया है।
अब केवल शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के अधिकारी ही विद्यालयों में निरीक्षण करेंगे। इस संबंध में विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है।
ACS ने अपने निर्देश में क्या कहा?
अपर मुख्य सचिव ने अपने निर्देश में कहा है कि विद्यालय निरीक्षण के कार्य को सभी पदाधिकारी गंभीरता से लेंगे एवं किसी भी परिस्थिति में निरीक्षण प्रतिवेदन फर्जी या भ्रामक पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारियों पर आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि जिला शिक्षा कार्यालय में कार्यरत संविदा व आउटसोर्स से कार्यरत कर्मियों से प्राप्त निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा की गई है। इसमें पाया गया है कि इन कर्मियों द्वारा निरीक्षण प्रतिवेदन में अंकित किए गए डाटा लगभग फर्जी हैं।
जब स्थानीय जांच की गयी तो निरीक्षण प्रतिवेदन और स्थलीय स्थिति में बहुत भिन्नता थी। उनके द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में भी सचेतता एवं संवेदनशीलता की कमी पायी गई है, इसलिए निरीक्षण की गुणवत्ता तथा उपयोगिता बढाने हेतु इस व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय लिया है।
अब संविदा पर नियोजित या आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित किसी भी कर्मी के माध्यम से विद्यालयों का निरीक्षण नहीं किया जाएगा। अब सिर्फ शिक्षा विभाग एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के नियमित पदाधिकारी ही विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे, जिनमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक, सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी शामिल होंगे।
विद्यालयों में निरीक्षण पर जाने की सूचना होगी गोपनीय
- निर्देश में कहा गया है कि जो अधिकारी विद्यालय निरीक्षण पर जाएंगे, वो संबंधित विद्यालय में जाने की सूचना गोपनीय रखेंगे। जिन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना है उसका चयन प्रत्येक निरीक्षण हेतु निर्धारित दिन अपर मुख्य सचिव द्वारा किया जाएगा।
- इन विद्यालयों की सूचना एक दिन पूर्व रात्रि नौ बजे मोबाइल पर अपर मुख्य सचिव कार्यालय के माध्यम से भेजी जाएगी। सूचना के आधार पर अगले दिन संबंधित पदाधिकारी विद्यालय निरीक्षण के लिए प्रस्थान करेंगे।
निरीक्षण रिपोर्ट को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य
निर्देश के मुताबिक विद्यालय निरीक्षण से संबंधित प्रतिवेदन ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। साथ ही, निरीक्षण के दिन विद्यालय के किसी भी शिक्षक अथवा शिक्षा विभाग के किसी भी पदाधिकारी/कर्मी को बिना बताए वे विद्यालय की ओर प्रस्थान करेंगे और विद्यालय का निरीक्षण करेंगे।
शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को विद्यालय अनुश्रवण की जिम्मेवारी दी गयी है। यदि किसी कारणवश, यथा अस्वस्थता या अन्य कारण से संबंधित पदाधिकारी निरीक्षण नहीं कर पाए तो वे इसकी सूचना अपर मुख्य सचिव कार्यालय में इस व्यवस्था का संचालन करने वाले नोडल पदाधिकारी अनिल कुमार एवं अपर सचिव को सूचित करेंगे।
अपर मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा पुन किसी अन्य तिथि को निरीक्षण हेतु कोई अन्य विद्यालय आवंटित किया जाएगा, जिसका वे निरीक्षण करेंगे। सभी पदाधिकारियों को प्रत्येक माह कम से कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाना है।
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