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कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचांग के आधार पर इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस तिथि पर शुभ कार्य जैसे- गंगा स्नान सत्यनारायण व्रत और दीपदान अवश्य करना चाहिए। इससे धन-वैभव की प्राप्ति होती है तो आइए यहां पर सत्यनारायण भगवान की आरती पढ़ते हैं।

सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बेहद महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु, देवी और चंद्र देव की पूजा के लिए अर्पित है। इस पावन दिन पर लोग व्रत रखते हैं और भगवान सत्यनारायण की भी उपासना करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा हर साल पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर पूजा-अर्चना और मंत्रों का जाप करना परम कल्याणकारी माना जाता है। जो लोग धन की देवी की कृपा प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस दिन सत्यनारायण भगवान के व्रत का पालन करना चाहिए। साथ ही उनकी कथा और आरती करनी चाहिए।

हालांकि जो भक्त किसी वजह से इस व्रत को कर पाने में असमर्थ हैं, उन्हें इस मौके पर श्री सत्यनारायण जी का ध्यान करना चाहिए और उनके वैदिक मंत्रो का जाप करना चाहिए। साथ ही शाम के समय आरती करनी चाहिए, तो आइए यहां पर पढ़ते हैं।

।।सत्यनारायण भगवान की आरती।।

जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन,

द्भुत छवि राजै ।

नारद करत निराजन,

घण्टा ध्वनि बाजै ॥

हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 15 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 25 मिनट पर होगा। वहीं, चंद्रोदय शाम 04 बजकर 44 मिनट पर होगा। इस दौरान आप चंद्र दर्शन करके उन्हें अर्घ्य दे सकते हैं।

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण,

द्विज को दर्श दियो ।

बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,

कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो,

जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूड़ एक राजा,

तिनकी विपत्ति हरी 

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।

वैश्य मनोरथ पायो,

श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भोग्यो प्रभुजी,

फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण,

छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीन्हीं,

तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वल-बाल संग राजा,

वन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हों,

दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो,

कदली फल, मेवा ।

धूप दीप तुलसी से,

राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती,

जो कोई नर गावै ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,

सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा,

स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी,

जन पातक हरणा ॥

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