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Haryana Election: चौटाला का चश्मा पहन भाजपा-कांग्रेस को चुनौती देगा मायावती का हाथी, जाट-दलित वोटों पर होंगी निगाहें

हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल ने गठबंधन किया है। बसपा और इनेलो के गठबंधन से कांग्रेस और भाजपा को कड़ी चुनौती मिल सकती है। हरियाणा में दोनों दलों के बीच यह तीसरा गठबंधन है। सबसे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव में बसपा- इनेलो के बीच गठबंधन हुआ था। इस गठबंधन की निगाहें दलित और जाट वोटों पर रहेंगी।

 चंडीगढ़। हरियाणा में तीसरी बार मिलकर चुनाव लड़ रहे इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस और भाजपा को कड़ी चुनौती मिल सकती है।

इनेलो को जाट मतदाताओं का सहारा है तो बसपा को दलित वोट बैंक पर भरोसा है। दोनों दलों ने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर आगे बढ़ते हुए दलितों व जाटों के साथ-साथ दूसरी जातियों के उम्मीदवारों को भी चुनावी रण में टिकट देने का निर्णय लिया है।

लोकसभा चुनाव में अलग-अलग लड़े थे दोनों दल

इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में अलग-अलग लड़े इनेलो और बसपा का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, लेकिन दोनों दलों ने मिलकर तीन प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त किए थे। इनेलो ने 1.74 प्रतिशत तो बसपा ने 1.28 प्रतिशत मत हासिल किए। आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत 3.94 रहा।

जजपा को मात्र 0.87 प्रतिशत मतों में ही संतोष करना पड़ा था। सबसे अधिक भाजपा ने 46.11 और कांग्रेस ने 43.67 प्रतिशत मत हासिल किए थे।

लोकसभा चुनाव के असंतोषजनक नतीजों ने ही इनेलो व बसपा को तीसरी बार साथ आने के लिए मजबूर किया है। इनेलो ने 53 और बसपा ने 37 विधानसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

अभय चौटाला ने संभाली है इनेलो की कमान

93 साल के इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला का स्वास्थ्य हालांकि उन्हें ज्यादा लंबे चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं दे रहा है, लेकिन इसके बाद भी चौटाला कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने के लिए फील्ड में सक्रिय हैं। प्रत्यक्ष रूप से चुनाव की पूरी बागडोर अभय सिंह चौटाला ने संभाल रखी है और उनका साथ इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा दे रहे हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को हरियाणा में चुनाव प्रचार की बागडोर सौंप रखी है। सितंबर के पहले अथवा दूसरे सप्ताह में मायावती हरियाणा में बड़ी रैली कर दलितों को लुभाने की कोशिश करेंगी।

अभय चौटाला और आकाश आनंद दोनों राज्यस्तरीय रैली की योजना बना रहे हैं। उससे पहले दोनों दलों की ओर से अधिकतर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे।

1996 और 2018 में भी दोनों पार्टियां कर चुकी गठजोड़

साल 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान इनेलो व बसपा के बीच पहली बार गठबंधन हुआ था। इनेलो ने सात लोकसभा सीटों पर और बसपा ने तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था।

इस चुनाव में बसपा ने एक अंबाला लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि इनेलो प्रत्याशी राज्य की चार लोकसभा सीटों कुरुक्षेत्र, हिसार, सिरसा और भिवानी पर चुनाव जीते थे।

इसके बाद साल 2018 में बसपा और इनेलो के बीच राजनीतिक गठजोड़ हुआ, लेकिन यह गठबंधन विधानसभा चुनाव तक लोगों के बीच नहीं पहुंच पाया।

तब इनेलो के दोफाड़ होने और नई पार्टी के रूप में जजपा का जन्म हो जाने की वजह से बसपा के साथ इनेलो का गठबंधन टूट गया था। इस बार का गठबंधन तीसरा है।

शिअद और अन्य दलों को साधने की कोशिश

इनेलो व बसपा के गठजोड़ के बाद अभय चौटाला और रामपाल माजरा की कोशिश यह भी है कि प्रदेश में शिरोमणि अकाली दल, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, हरियाणा जनसेवक पार्टी और सर्वहितकारी पार्टी के साथ इस गठबंधन के आकार को और बड़ा किया जाए।

जिस तरह से चुनाव काफी नजदीक आ चुके हैं तो ऐसे में अभय सिंह चौटाला के यह प्रयास धरातल पर सिरे चढ़ते दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस स्थिति में इनेलो व बसपा ही सत्तारूढ़ भाजपा व प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को चुनौती देते नजर आ सकते हैं।

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