यूपी के झांसी में युवक की हत्या कर उसके शव को घर के सामने प्लॉट में दफना देने के चर्चित मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय संख्या-2 विजय कुमार वर्मा-प्रथम की अदालत ने सुनवाई के बाद दोष सिद्ध होने पर 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा व एक अन्य को एक साल की सजा सुनायी। साथ ही अर्थदंंड से दंडित किया।
झांसी। शादी के बाद प्रेमिका से मिलने उसके ससुराल उरई गए युवक को ससुराल वालों ने पकड़ लिया था। युवती के परिजनों को सूचना दे दी थी, जिस पर युवती के पिता, भाई व चचेरा भाई वहां गए थे। युवक को बंधक बनाकर कार से दामाद के साथ झांसी ले आए थे। यहां पर मारपीट कर उसकी गला घोंटकर और सिर पर हथौड़ा मारकर हत्या कर दी थी। शव को घर के सामने खाली पड़े प्लॉट में गड्ढा खोदकर दबा दिया था।
इस चर्चित कांड की न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-2 विजय कुमार वर्मा-प्रथम की अदालत ने सुनवाई के बाद दोष सिद्ध होने पर 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा व एक अन्य को एक साल की सजा सुनायी। साथ ही अर्थदंंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा नहीं करने पर अभियुक्तों को अतिरिक्त कारावास काटना होगा।
अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) देवेन्द्र पांचाल ने बताया कि थाना एरच के ग्राम गौती निवासी जयराम ने थाना सीपरी बाजार में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि वह ताज कम्पाउण्ड में 15 साल से किराए के मकान में रह रहा है। उसका पुत्र सन्तोष कुमार उर्फ गोलू (25) चार-पहिया वाहन चलाने का काम करता है।
30 जून 23 को रात 8 बजे सन्तोष घर से गाड़ी लेकर कानपुर जाने की कहकर निकला था। वह दो दिन बाद भी वापस घर नहीं आया, तो उन्होंने 2 जुलाई को उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। वह उसकी तलाश कर रहे थे, तभी साढ़ू राजकुमार उर्फ राजू ने घर पर आकर बताया कि उसके भाई की ससुराल उरई में रामनगर ईदगाह के पीछे है।
उरई में ख्यालीराम के साले अशोक कुमार ने बताया कि तुम्हारे रिश्तेदार का एक लड़का, जो झांसी से हमारे मोहल्ले की एक महिला से 30 जून की रात को मिलने आया था, उसे उस महिला के पति अवधेश व अवधेश के जीजा दीपक ने पकड़ लिया और मारपीट कर कमरे में बंद कर दिया था। उसी रात को करीब 2.30 बजे एक सफेद रंग स्विफ्ट डिजायर कार अवधेश के दरवाजे पर आयी थी और सुबह 1 जुलाई को प्रात: 5 बजे लड़के को कार में बैठाकर कुछ लोग झांसी ओर चले गए थे।
4 जुलाई को सन्तोष उर्फ गोलू की मां ने राहुल मिश्रा को फोन करके बताया कि गोलू 30 जून से घर नहीं आया है। तब राहुल मिश्रा ने बताया था कि उसने 1 जुलाई को मेडिकल कॉलेज बाइपास पर सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में गोलू को बैठे देखा था, उसके साथ 3 व्यक्ति और थे। पिता ने पुलिस को बताया था कि उसके पुत्र सन्तोष का रामस्वरूप की पुत्री से प्रेम सम्बन्ध थे।
उसकी ससुराल रामनगर उरई में है। वहां पर पुत्र उससे मिलने के लिए गया था। शक जाहिर किया था कि पुत्र सन्तोष उर्फ गोलू की हत्या कर दी और शव को कहीं छिपा दिया है। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की थी, जिसके बाद रामस्वरूप और उसके पुत्र मंयक श्रीवास ने घटना को स्वीकार करते हुए बताया था कि उन्होंने दामाद अवधेश व चचेरे भाई शरद कुमार के साथ मिलकर गोलू की गला घोंटकर व सिर पर हथौड़े मार दिए थे, जिससे वह मर गया था। उसके शव को घर के सामने खाली प्लाट में गड्ढा खोदकर दबा दिया था।
पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर आरोपी के शव को बरामद कर लिया था। न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर हत्या करने वाले अभियुक्त पिछोर निवासी रामस्वरूप, मंयक श्रीवास, पारीछा निवासी शरद कुमार व रामनगर उरई निवासी अवधेश कुमार को आजीवन सजा के साथ 20-20 हजार रुपए का अर्थदंंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा नहीं करने पर एक-एक साल की अतिरिक्त सजा सुनायी। इसके साथ ही अन्य धाराओं में भी अलग-अलग सजा और अर्थदण्ड से दण्डित किया। जालौन के धुआँताल निवासी दीपक को सहयोग करने पर एक साल की सजा सुनायी।
न्यायालय ने 6 माह के अंदर की पूरी सुनवाई
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) देवेन्द्र पांचाल ने बताया कि अभियुक्त मंयक श्रीवास ने उच्च न्यायालय में जमानती प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया था, जिस पर उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई एक साल के अन्दर करने के आदेश दिए थे। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को हर तारीख गवाह पेश करने के आदेश दिए थे। पुलिस ने 13 फरवरी 24 को आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था। साथ ही 16 गवाह बनाए थे। न्यायालय ने 6 माह के अंंदर मामले की पूरी सुनवाई कर सजा सुनायी।
कॉल डिटेल और लोकेशन बने महत्वपूर्व साक्ष्य
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) देवेन्द्र पांचाल ने बताया कि मुकदमे में जब मृतक के मोबाइल फोन की लोकेशन ली, तो वह उरई आयी थी। इसके बाद आरोपी रामस्वरूप, मंयक श्रीवास, शरद कुमार के मोबाइल की लोकेशन आयी कि तीनों झांसी से उरई गए। इसके बाद वह दामाद अवधेश कुमार और मृतक सन्तोष उर्फ गोलू को साथ लेकर झाँसी आए। इनके साथ चलने की लोकेशन आयी, जिससे स्पष्ट हो गया कि चारों आरोपी सन्तोष को उरई से लेकर झाँसी आए और यहाँ पर हत्या के बाद शव को जमीन में दफना दिया था।
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