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कैसे होती है लेटरल एंट्री की प्रक्रिया? आजादी के बाद से चली आ रही नियुक्ति की परंपरा; यहां समझें सबकुछ

कार्मिक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार विशेषज्ञों की नियुक्ति की परंपरा काफी पुरानी है और आजादी के बाद से चली आ रही है। इसपर पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है। मोदी सरकार के दौरान इसके पहले भी तीन बार विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति हो चुकी है। हर बार नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा के साथ उसमें छोटे-मोटे बदलाव भी किये गए हैं।

नई दिल्ली। प्रशासनिक पदों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति का विज्ञापन भले ही वापस ले लिया गया हो, लेकिन इसे पूरी तरह से बंद नहीं किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लेटरल एंट्री से नियुक्ति की प्रक्रिया में सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखने की सलाह दी है। जाहिर है विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति को आरक्षण के प्रविधान के साथ नए सिरे से शुरू किया जा सकता है।

नियुक्ति की परंपरा काफी पुरानी

कार्मिक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, विशेषज्ञों की नियुक्ति की परंपरा काफी पुरानी है और आजादी के बाद से चली आ रही है। इसपर पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है। पहले राजनीतिक नेतृत्व द्वारा इसका चयन होता था और उन्हें नियुक्त कर दिया जाता था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे संस्थागत रूप देते हुए यूपीएससी को ऐसे विशेषज्ञों की चुनने की जिम्मेदारी दी।

तीन बार विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति हो चुकी

मोदी सरकार के दौरान इसके पहले भी तीन बार विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति हो चुकी है। हर बार नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा के साथ उसमें छोटे-मोटे बदलाव भी किये गए हैं। इस बार 45 पदों पर एक साथ नियुक्ति के कारण आरक्षण का मुद्दा सामने आ गया और इसे समायोजित करने की कोशिश की जाएगी। वहीं वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि विशेषज्ञों की सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया में आरक्षण के प्रविधान को लागू करना आसान नहीं होगा। यह अलग-अलग विभागों ने विशेष जरूरतों के लिए एक या दो विशेषज्ञ का चयन एक सीमित समय के लिए किया जाता है।

विशेषज्ञ का चयन करना काफी जटिल 

इसे स्थायी सरकारी नौकरी तरह से नहीं लिया जा सकता है। ऐसे में एक पद के लिए आरक्षण का प्रविधान करना और उसके लिए सबसे उपयुक्त विशेषज्ञ का चयन करना काफी जटिल हो जाएगा। फिलहाल आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए कम से कम तीन पद रिक्त होने चाहिए। ऐसे में अगर लैटरल भर्ती में आरक्षण लागू करना है तो दो ही रास्ता हो सकता है और कोई आसान नहीं है।

पहला रास्ता यह हो सकता है कि किसी भी विभाग के लिए भर्ती कम से कम तीन की संख्या में निकले। ऐसे में तात्कालिक जरूरत को पूरा करना मुश्किल होगा और दूसरा रास्ता यह हो सकता है कि सभी विभागों को मिलाकर एक यूनिट माना जाए।

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