महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगम तट पर आस्था हिलोरें ले रही हैं। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं में महाकुंभ को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग व्यवस्थाओं की सराहना कर रहे हैं तो कुछ को अभी भी कुछ कमियां नजर आ रही हैं। लेकिन कुल मिलाकर महाकुंभ का अनुभव सभी के लिए अविस्मरणीय है।
महाकुंभ नगर:- संगम तट पर आस्था हिलोरें ले रही है। देश ही नहीं, दुनिया के धर्मावलंबी, सनातन के मानने वाले महाकुंभ में हैं। कोई महाकुंभ की मर्यादा पर बात रख रहा तो किसी को प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पसंद आ गई है। किसी के मन में साधु-संतों, नागा बाबाओं, अजब-गजब संतों पर आस्था है। कोई संगम की रेतीली रज को छू लेने को विह्वल है, व्यग्र है और समग्रता से अध्यात्म की धरती के हर पल को सहेजने के प्रयास में दिख रहा है।
इनमें से ही एक कोलकाता के साउथ गोड़िया के गोविंद साईं हैं। वे पहली बार महाकुंभ आए हैं। ट्रेन से परिवार समेत दो दिन पहले पहुंचे हैं। कहते हैं, इंतजाम बहुत अच्छे हैं। एकदम अलग अनुभव है। इसी बीच उनकी बीएड कर रही बेटी इंद्राणी बोल पड़ीं, महिला शौचालय गंदा है। कुछ जगह तो हैं भी नहीं। पानी सही नहीं है। इस पर उनकी बात काटकर बेटा शायन कुमार साईं बोल पड़ा, अरे योगी बाबा हैं, सब 14 जनवरी को पहले अमृत स्नान तक सुधर जाएगा। योगी का कानून अच्छा है। उनका बुलडोजर बढ़िया है। बंगाल में तो योगी बाबा की धूम है। महाकुंभ की तैयारी और यहां की आस्था के साथ बाबा का बुलडोजर उन्हें खींच लाया है।
महाकुंभ पर क्या है श्रद्धालुओं का रिएक्श
थोड़ी दूर पर खड़े कुशीनगर के विद्यासागर सिंह भी इसी बीच पास में आ गए। मानों वो समझ गए हों कि महाकुंभ की आस्था व महात्म्य पर ही बोलना है। आते ही कहा, पहली बार भले आए हैं पर हम जानते हैं महाकुंभ के संकल्प को, इसका कोई विकल्प नहीं।
बस तन-मन को ऊर्जावान बनने के कई प्रकल्प यहां से लेकर जा सकते हैं। ये स्वयं के साथ आसपास के लोगों को भी प्रेरित करेंगे। प्रयाग में अपनी बहन रुके हैं। मकर संक्रांति तक रुकेंगे। महाकुंभ नगर एकदम अलबेला है। यहां एक-दूसरे को जोड़ते घुमावदार रास्ते, प्रशासन के इंतजाम बेहतरी के अहसास करा रहे हैं। मेले में श्रद्धालुओं का ज्वार सा उमड़ पड़ा है।
कोने-कोने पर अफसरों का निगाह
महाकुंभ नगर में तैनात पुलिस के जवान अमित सिंह कहते हैं, अफसरों की निगाह हर कोने पर है। श्रद्धालु भी श्रद्धा, आस्था के ज्वार के बीच आते व जाते हैं। इसलिए कभी परेशानी नहीं होती है। अभिनव दीक्षित बोले, यही महाकुंभ है। अभिनव और अनूठा, जहां न किसी के प्रति किसी को कोई बैर भाव है और न ही कोई खटास। दूर-दूर तक बस सब एक और एकरूपता ही इसकी पहचान है।
मोदी-योगी के कारण महाकुंभ को जान सकी युवा पीढ़ी
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के बसंत सिकरवार, राजस्थान के भरतपुर के लोकेंद्र ठाकुर कहते हैं, दूसरी बार कुंभ में आए हैं। इस बार स्नान की व्यवस्था बहुत अच्छी है। गंगा पर आधा दर्जन पुल बनने से सहूलियत मिली है। दिल्ली के टोनी सिंह बोले, पहले कभी ऐसा नहीं दिखा। अबकी भव्यता समझ आई। सनातन के इस महापर्व को देखकर मन प्रफुल्लित है। मोदी-योगी ने सनातन संस्कृति को जिंदा किया है। भावी पीढ़ी महाकुंभ व अर्द्ध कुंभ को जान सकेगी। साधु-संतों के कार्यों को अंगीकार करें और संतों में आस्था रखें तो हमारी संस्कृति अक्षुण्ण रहेगी।
- Log in to post comments