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ज्ञानवापी विवाद में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग समेत सात मुकदमों की सुनवाई शनिवार यानी 7 दिसंबर को हुई। जिला जज ने सभी मामलों में अगली सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तिथि तय की। बता दें कि 2021 में पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ की मांग की थी। 

वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग समेत सात मुकदमों की सुनवाई शनिवार को जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में हुई। मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग करने वाली महिलाओं के वकील सुधीर त्रिपाठी ने जिला जज को बताया कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों को हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है, जिस पर 17 दिसंबर को सुनवाई होनी है।

सात मुकदमों की सुनवाई 21 दिसंबर को होगी

इस पर जिला जज ने सभी मामलों में अगली सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तिथि मुकर्रर कर दी। वहीं, ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण व हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने की मांग को लेकर 1991 में स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास एवं अन्य द्वारा दाखिल मुकदमे में पुनरीक्षण याचिका पर अपर जिला जज (चतुर्दश) अभय कृष्ण तिवारी की अदालत में सुनवाई हुई।

पुनरीक्षण याचिका वाराणसी के मुख्तार अहमद अंसारी की ओर से दाखिल की गई है। याचिका सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत ने दो मई को खारिज कर दी थी। मुकदमे में मूल पत्रावली न मिलने से अदालत ने सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तिथि तय कर दी है

ये है पूरा मामला

ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी की पूजा-पाठ 1993 से पहले नियमित रूप से होती थी। इसके बाद बैरिकेडिंग लगाकर पूजा-पाठ पर रोक लगा दी गई। 18 अगस्त, 2021 को पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ की मांग की थी। मंदिर पक्ष का तर्क था कि 15 अगस्त, 1947 से पहले से ही श्रृंगार गौरी की पूजा होती आ रही है।

वादी पक्ष का दावा था कि बिना किसी आदेश के ही मां श्रृंगार गौरी की पूजा-पाठ पर रोक लगा दी गई थी।

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