
शामली समाचार
शामली में विभिन्न स्थानों पर बलूच जनजाति के लोग रहते हैं। ये लोग मुगलों के साथ ही भारत आए थे और यहीं बस गए थे। पूर्व सांसद अमीर आलम और पूर्व विधायक नवाजिश आलम भी बलूच हैं।
भारत पाक सीमा पर तनाव के चलते हर कोई आतंकियों की कायराना हरकत को कोस रहा है। वहीं भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जिले में जश्न का माहौल है।
मुगलों के साथ भारत आए बलूच जनजाति के लोग दिल्ली समेत विभिन्न स्थानों पर आकर बस गए थे। गढ़ीपुख्ता, गढ़ी अब्दुल्ला खां, बाबरी समेत विभिन्न स्थानों पर पांच हजार से अधिक बलूच रहे हैं, जिनमें गढ़ीपुख्ता के रहने वाले पूर्व सांसद अमीर आलम खान, पूर्व विधायक नवाजिश आलम भी शामिल हैं। सभी ने कहा कि आतंकियों का खात्मा करने के लिए हम भी युद्ध पर जाने को तैयार है। हर हाल में पाकिस्तानी आतंकियों को सबक सिखाया जाना चाहिए।
बलूचियों का इतिहास
सांसद अमीर आलम खां और पूर्व विधायक नवाजिश आलम के अनुसार, बलूचिस्तान से 1526 में बाबर की फौज के साथ बलूच जनजाति के लोग दिल्ली आए और फिर दिल्ली से यहां विभिन्न स्थानों पर आकर बस गए थे। दिल्ली से 17वीं शताब्दी में बलूच मीर बख्श और लवी बख्श के परिवार सबसे पहले पास के बागपत गांव में आए थे। इनके साथ अन्य परिवार भी बागपत, शामली और अन्य स्थानों पर आकर रहने लगे थे। तभी से परिवार रह रहे हैं।
यह बोले बलूच...
हम पहले से ही पाकिस्तान के आतंकवाद के विरोधी है। भारत ने जो कार्रवाई की है वह सराहनीय है। देश का हर शख्स सेना के साथ खड़ा है। आवश्यकत पड़ी तो युद्ध पर जाने को भी तैयार है।
- अमीर आलम खां, पूर्व सांसद
पाकिस्तान आतंकवाद की पौध तैयार करा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने कड़ा जवाब दिया है। सभी बलूच देश के साथ हैं। सेना के साहस को सलाम। यदि जरूरत पड़ी तो पाक आतंकियों से जंग करने को हम सभी तैयार हैं।
- नवाजिश आलम, पूर्व विधायक
नहीं हटेंगे युद्ध से पीछे
गढ़ी अब्दुल्ला खां के रहने वाले खीजर ने कहा कि हमारी चार पीढ़ी हो गई हैं। हम शामली में ही आकर रहे हैं। पाकिस्तान के आतंकियों का सफाया होना चाहिए। हम देश के साथ हैं। यदि आवश्यकता पड़ी तो हम भी युद्ध के लिए पीछे नहीं हटेंगे।
गढ़ी अब्दुल्ला खां गांव के बलूच एबाब मियां का कहना है कि खुशी की बात है कि भारत ने पाक के घर में घुसकर हमला किया है। आतंकियों ने गलत किया था। हम पूरी तरह से भारत के साथ है।
जिले में यहां रहते हैं बलूच जनजाति के लोग
गढ़ी अब्दुल्ला खां गांव में : करीब दो हजार लोग
गढ़ीपुख्ता : करीब 1800 लोग
हसनपुर में : करीब 100
खेड़की : 100
अंबेहटा -400
बाबरी-700
कुल करीब पांच हजार से अधिक
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