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लखनऊ ब्यूरो चीफ सुनील यादव

सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को रखना अनुचित है। वक्फ बिल के नए प्रावधानों का मुस्लिम समाज विरोध कर रहा है। सरकार को बिल पर पुनर्विचार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस राज में बने महाबोधि मंदिर कानून में भी बदलाव करने की मांग की। 

राजधानी लखनऊ में बृहस्पतिवार को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि नये वक्फ कानून के तहत राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम को रखने का नया प्रावधान अनुचित है। इसका मुस्लिम समाज में भारी विरोध भी है। इसी तरह के अन्य नए विवादित प्रावधानों के सुधार को भी लेकर केंद्र सरकार अगर वक्फ कानून को फिलहाल स्थगित करते हुए पुनर्विचार करती है तो बेहतर होगा।

बसपा सुप्रीमो ने अपने बयान में कहा कि देश की आजादी के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा बिहार में बोधगया मंदिर प्रबंधन के संबंध में जो कानून बनाया गया था, उसमें डीएम की अध्यक्षता में चार हिंदू व चार बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों की कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया था। जो पहली नजर में ही अनुचित, अनावश्यक व भेदभावपूर्ण लगता है। 

बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों में आक्रोश

इससे पूरे देश व दुनिया भर के बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों में आक्रोश है। वे इस कानून में परिवर्तन की मांग को लेकर काफी समय से आंदोलित भी हैं। सरकार की इस अनावश्यक दखलअंदाजी की वजह से ही महाबोधि मंदिर में पूजापाठ, देखरेख, संपत्तियों के संरक्षण आदि के साथ ही लाखों तीर्थ यात्रियों की सुख-सुविधा आदि को लेकर भी स्थिति लगातार असहज व तनावपूर्ण बनी रहने की शिकायत है। 

बौद्ध धर्म के मानने वालों की यह मांग है कि मंदिर में पूजापाठ, सुरक्षा व संरक्षण आदि की पूरी जिम्मेदारी बौद्ध भिक्षुओं व अनुयायियों को ही सौंपी जाए। उनकी यह मांग जायज है, जिस पर वर्तमान सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने केंद्र व बिहार की एनडीए सरकार से इसमें तत्काल सुधार करने की मांग भी की।

जातिवादी पार्टियों के बहकावे में न आएं

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस, भाजपा व अन्य जातिवादी पार्टियों द्वारा डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्मदिन पर उनके अनुयायियों के वोटों को लुभाने के लिए तमाम हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उनके बहकावे में नहीं आना है और अपनी एकमात्र हितैषी पार्टी बसपा के बताए रास्ते पर ही चलना है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों से मांग की है कि वह आतंकियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ को छोड़कर भारतीय कानून के तहत निष्पक्ष, ईमानदार व सख्त कानूनी कार्रवाई करें। यह देश व नागरिकों के हित में होगा।

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