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सोमवार को लोकसभा में पूछा गया कि क्या किसानों को कम सिबिल स्कोर की वजह से सरकारी बैंक लोन देने से इनकार कर रहे हैं। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कुछ स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इस मुद्दे पर वित्त मंत्री ने जो जवाब दिया है उसमें इसका कोई जिक्र नहीं है कि सरकार को उक्त मुद्दे के बारे में पता है या नहीं।

नई दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में सरकारी बैंकों की तरफ से कम सिबिल स्कोर वाले किसानों को कर्ज देने से इनकार किए जाने का मुद्दा संसद में भी उठ गया है। इस बारे में एक लिखित सवाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा गया था।

हालांकि, सीतारमण ने सोमवार (24 मार्च) को जब सवाल का कोई स्पष्ट जवाब देने के बजाय यह बताया कि सरकार कितनी आसानी से कृषि क्षेत्र को कर्ज मुहैया करा रही है और बगैर बंधक के कृषि कर्ज की सीमा कितनी बढ़ा दी गई है।

महाराष्ट्र में उठा था किसानों के लोन का मुद्दा

पिछले वर्ष महाराष्ट्र विधान सभा से पहले वहां किसानों को खराब सिबिल स्कोर के आधार पर कर्ज नहीं देने का मुद्दा काफी चर्चा में रहा था। तब महाराष्ट्र सरकार ने बैंकों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने खराब सिबिल स्कोर पर खेती के लिए कर्ज देने से इनकार किया तो उनके खिलाफ एफआईआर किया जाएगा।

लोकसभा में सरकार से क्या पूछा गया?

बहरहाल, लोकसभा में एक सवाल पूछा गया था कि क्या कम सिबिल स्कोर की वजह से किसानों को कर्ज नहीं दिये जा रहे? क्या सरकार ने इसकी जांच करवाई है और इसका विस्तार से उल्लेख क्या है? क्या पुराना कर्ज नहीं चुकाने वाले किसानों को नए कर्ज लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है?

वित्त मंत्री सीतारमण ने जो जवाब दिया है उसमें इसका कोई जिक्र नहीं है कि सरकार को उक्त मुद्दे के बारे में पता है या नहीं। अगर पता है तो उसकी जांच करवाई गई है या नहीं। जवाब में एक विस्तृत टिप्पणी दी गई है। जिसमें सिबिल को लेकर बैंकों को क्या निर्देश दिये गये हैं, इसका जिक्र है। इसमें बताया गया है कि बैंकों को अधिकार है कि वह कर्ज देने से संबंधी सूचना देने वाली कंपनियों से प्राप्त डाटा के आधार पर कर्ज देने का फैसला कर सकते हैं।

 

तीन लाख तक के लोन बिना किसी प्रोसेसिंग चार्ज के मिलेंगे

  • वित्त मंत्री ने बताया है कि ग्राहकों की ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) कंपनियां ग्राहकों के पुराने कर्ज देने के रिकार्ड के आधार पर तैयार करती हैं।
  • इसके बाद उन्होंने बताया है कि कैसे केंद्र सरकार ने चार फरवरी, 2019 को सभी बैंकों को यह सुझाव दिया था कि वह किसानों को दिए जाने वाले तीन लाख रुपये तक के कर्ज के लिए कोई प्रोसेसिंग शुल्क या सेवा शुल्क नहीं ले।
  • इसी तरह से छह दिसंबर, 2024 को एक आदेश जारी कर बगैर बंधक के कर्ज देने की सीमा 1.6 लाख रुपये से बढ़ा कर दो लाख रुपये कर दी गई है।

 

 

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