
बरेली समाचार
बरेली: साहित्यकार ज्ञान स्वरूप 'कुमुद' स्मृति- सम्मान समिति, बरेली के तत्वावधान में कुमुद- जयंती पर स्थानीय लोक खुशहाली सभागार में डॉ. महेश 'मधुकर' की काव्य कृति द्वय का लोकार्पण, कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद ने की। मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं खुशलोक अस्पताल के निदेशक डॉ. विनोद पागरानी रहे । संचालन कवयित्री किरन प्रजापति दिलवारी ने किया।
माँ शारदे एवं 'कुमुद' जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
प्रथम सत्र में साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वरिष्ठ नव गीतकार रमेश गौतम, रामपुर से पधारे वरिष्ठ गीतकार शिव कुमार 'चंदन' एवं वरिष्ठ हास्य- व्यंग्यकार पी.के. 'दीवाना' को ज्ञान स्वरूप 'कुमुद' साहित्य शिरोमणि सम्मान से विभूषित किया गया सम्मान स्वरूप उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्था के संस्थापक/ महासचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट, रचयिता डॉ. महेश मधुकर एवं संरक्षक रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने प्रदान किया।
द्वितीय सत्र में ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ. महेश ' मधुकर' - रचित गीत संग्रह ' अंजुरी भर धूप' एवं बाल गीत संग्रह ' भारत की पहचान तिरंगा' का लोकार्पण डॉ. विनोद पागरानी के कर कमलों से हुआ ।
'ॲंजुरी भर धूप' (गीत संग्रह) की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रमेश गौतम ने कहा कि-इसमें डाॅ. महेश 'मधुकर' के शाश्वत प्रेम, राष्ट्र प्रेम तथा यथार्थ बोध से अनुप्राणित 56 सरस गीत संग्रहीत हैं जो साहित्य जगत के लिए अमूल्य निधि हैं।
प्रख्यात समीक्षक डॉ. नितिन सेठी ने कहा कि डॉ. महेश 'मधुकर' बाल मन के कुशल चितेरे हैं ।भारत की पहचान तिरंगा' (बालगीत संग्रह ) में उनके द्वारा रचित सरस,रोचक,प्रेरक व संदेश-प्रद 36 बालगीत संग्रहीत हैं जो बालकों में भारतीय संस्कृति और उसके आधारभूत मूल्यों की प्रतिष्ठा करने तथा देश भक्ति की भावना जागृत करने में सफल होंगे।
'कुमुद' जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए साहित्यकार इंद्रदेव त्रिवेदी ने कहा कि 'कुमुद' जी ने वर्ष 1982 में कवि गोष्ठी आयोजन समिति की स्थापना की और अपने संपादन में कई साझा काव्य संकलनों को निकाल कर जनपद के कवियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। वरिष्ठ एवं नवोदित कवियों को एक साथ मंच उपलब्ध कराया।
वरिष्ठ कवि रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने कहा कि 'कुमुद' जी एक अच्छे साहित्यकार होने के साथ ही एक अच्छे इंसान भी थे आज उनकी जयंती पर हम उन्हें उन्हीं की इन पंक्तियों के साथ नमन करते हैं-
जीवन तो मेरा दास हुआ, मैं जीवन का दास नहीं
मैंने तो चलना सीखा है, रुकने का अभ्यास नहीं।
तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन हुआ जिसमें नगर एवं बाहर के कवियों ने अपनी सरस रचनाओं के माध्यम से 'कुमुद' जी को याद किया।
कार्यक्रम में महासचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट, दिलीप कुमार अग्रवाल, दीपक मुखर्जी 'दीप', सत्यपाल सजग (पीलीभीत) ,राम रतन यादव (खटीमा), राजवीर सिंह राज (रामपुर), हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष,करुणा निधि गुप्ता,ज्ञान देवी सत्यम्, राजबाला धैर्य, शिवरक्षा पांडेय,निर्भय सक्सेना, बिंदु सक्सेना, पंकज सिंह, अतुल सक्सेना, सुभाष रावत राहत बरेली,लक्ष्मेश्वर राजू, डॉ प्रणव गौतम, डॉ मुकेश शर्मा मीत, डॉ अखिलेश गुप्ता, डॉ सुचित्रा डे, रामकुमार कोली, प्रकाश निर्मल, कमलकांत श्रीवास्तव, रोहित राकेश, सरवत परवेज सहजवानी, डॉ पवन अंचल, उमेश चंद्र गुप्ता, मेघाव्रत शास्त्री, एस.के. कपूर, स्नेह सिंह, पूनम सक्सेना, प्रीती सक्सेना, सत्यम् सुरेखा,दीपांशी सक्सेना, शांतम् सुरेखा, उत्पल स्वरूप, शंकर स्वरूप, राज नारायण गुप्ता, भारतेंद्र सिंह, मोहन चंद्र पांडेय मनुज,हरिकांत मिश्र चातक, नरेंद्र पाल सिंह, गजेंद्र सिंह, ध्रुव कुमार निर्भीक, रामधनी निर्मल, रामकुमार अफरोज, अश्वनी कुमार तन्हा, सत्यवती सिंह सत्या, अभिषेक अग्निहोत्री, डॉ राजेश शर्मा ककरेली, राम प्रकाश सिंह ओज, अशोक कुमार सक्सेना, उमेश अद्भुत, प्रकाश बाबू, मनोज सक्सेना मनोज, सियाराम राठौर, जिज्ञासु सक्सेना, तान्वी, हेमलता, अनुज सक्सेना, केशव राठौर, प्रणय सक्सेना,अंजू गौतम, राजकुमार अग्रवाल, निहारिका,अभय सक्सेना, राजीव सक्सेना, विजय कुमार,रजत कुमार, रीतेश साहनी, दीपिका , प्रमोद सक्सेना एवं रमेश रंजन आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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