प्रतियोगी छात्रों ने निकाला कैंडल मार्च सड़क पर बनाई अध्यक्ष की तस्वीर बुधवार शाम को छात्रों ने कैंडल मार्च निकालकर विरोध जताया। कहा- आयोग को छात्रों के हित से नहीं अपने हित से मतलब है। उनको आंदोलन वापस लेने के लिए दबाव दिया जा रहा है। प्रतियोगी छात्रों को धरना स्थल पर आने से रोकने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया जा रहा है।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा एक दिन एक शिफ्ट में कराने की मांग और नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे प्रतियोगी छात्रों पुलिस ने बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया
सादी वर्दी में आए पुलिस ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आशुतोष पांडे सहित कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। अचानक पुलिसकर्मियों के छात्र आंदोलन के बीच पहुंचने से अफरा तफरी मच गई। पुलिस के मंसूबो को समझने के बाद प्रतियोगी छात्र भी डट गए। पुलिसकर्मी प्रतियोगी छात्रों को उठा कर ले जाने लगे।
इसको लेकर प्रतिरोध शुरू हो गया। कई छात्राओं को भी चोट लगी है। आयोग के चारों तरफ बैरिकेडिंग पर पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ा दी है। अखिलेश यादव की सभा होने के कारण प्रशासन भारी दबाव में है।
माना जा रहा है कि प्रतियोगी छात्रों को हटाने के लिए पुलिस एक बार और कोशिश कर सकता है। हिंदू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है। वही आंदोलन पर पुलिस के बल प्रयोग से छात्रों में आक्रोश फैल गया है। बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से विवाद के हालात बनते जा रहे हैं।
कमिश्नर-डीएम की ठुकराई अपील, एक दिवसीय परीक्षा पर अड़े प्रतियोगी
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के बाहर एकदिवसीय परीक्षा की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को रद्द करने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। इस मामले में बुधवार रात मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत, पुलिस आयुक्त तरुण गाबा एवं जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़,बातचीत के लिए छात्रों से मिलने आयोग पहुंचे।
उन्होंने छात्रों से प्रदर्शन समाप्त करने की अपील करते हुए यह आश्वासन दिया कि प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठकर इस मामले का समाधान निकाला जा सकता है। हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों ने स्पष्ट रूप से यह मांग रखी कि वे प्रदर्शन तब तक समाप्त नहीं करेंगे, जब तक कि एकदिवसीय परीक्षा की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने और नॉर्मलाइजेशन रद्द करने का आधिकारिक आदेश जारी नहीं हो जाता।
करीब 30 मिनट तक चली इस वार्ता में अधिकारी लगातार छात्रों को समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका। दोनों पक्षों के बीच मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया।
डीएम और मंडलायुक्त ने छात्रों को यह आश्वासन दिया कि अगर प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता में कोई समाधान नहीं निकलता, तो वे इस मामले को शासन स्तर पर भी उठाएंगे। इसके बावजूद छात्र अपनी मांग पर अड़े रहे और वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकल सका।
अंततः, अधिकारी बातचीत को छोड़कर आयोग के भीतर चले गए। बता दें कि डीएम और पुलिस कमिश्नर पहले भी सोमवार और मंगलवार को प्रदर्शनकारी छात्रों से मिल चुके हैं और उन्हें प्रदर्शन समाप्त करने के लिए समझाने का प्रयास कर चुके हैं।
"आरंभ है प्रचंड" के साथ संघर्ष तेज करने का ऐलान
आयोग के अड़े रहने पर छात्र आंदोलन अब और तीव्र हो गया है। प्रतियोगी छात्रों ने मशहूर गीत "आरंभ है प्रचंड" को अपने संघर्ष का प्रतीक बनाकर विरोध को "प्रचंड" रूप देने का ऐलान किया है। इसके लिए छात्रों ने लाउडस्पीकर आयोग के बाहर लाकर रख दिया और गाने की ताकतवर धुन के साथ छात्रों ने अपनी आवाज बुलंद की।
छात्रों ने कहा कि यह संघर्ष उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है और वे इसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं पड़ने देंगे।छात्रों ने कहा कि यह फैसला उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जातीं, उनका "प्रचंड" आंदोलन जारी रहेगा।
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