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महाराष्‍ट्र विधानसभा की कई सीटों पर बेहद दिलचस्‍प मुकाबला देखने को मिल रहा है। ठाणे में कोपरी-पांच पाखड़ी विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद रोचक हो गया है क्योंकि इस सीट पर सीएम एकनाथ शिंदे के सामने शिवसेना (यूबीटी) ने उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतारा है। शिंदे जो स्वयं को दिघे की विरासत का असली उत्तराधिकारी मानते हैं अब ऐसे में...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के किसी भी कार्यक्रम के मंच पर शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के साथ शिंदे के राजनीतिक गुरु ‘धर्मवीर’ आनंद दिघे की तस्वीर जरूर दिखाई देती है, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) ने आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को ही एकनाथ शिंदे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया है।

इन दिनों ठाणे से जब कोई गुजरता है, तो विशाल बैनर, पोस्टर और कटआउट दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और दिवंगत तेजतर्रार नेता 'धर्मवीर' आनंद दिघे की तस्वीरों के साथ लोगों का स्वागत होता है। आनंद दिघे (27 जनवरी, 1951 - 26 अगस्त, 2001) बालासाहेब ठाकरे के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे और पालघर, ठाणे व रायगढ़ क्षेत्र में उनका दबदबा था।

अविवाहित रहे दिघे की 50 वर्ष की आयु में एक सड़क दुर्घटना के बाद दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। आनंद दिघे उस समय की शिवसेना के नेता थे, जब शिवसेना में ‘80 प्रतिशत समाजसेवा, 20 प्रतिशत राजनीति’ का नारा दिया जाता था। दिघे की उसी समाजसेवा के कारण ठाणे में उनके निधन के 24 वर्ष बाद भी लोग उन्हें सम्मान देते हैं।

एक-दूसरे पर लगाते रहे हैं गद्दारी के आरोप

दिघे के जीवनकाल में उनके सबसे करीबी लोगों में से एक रहे एकनाथ शिंदे उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। वह चार बार विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं और विधानसभा के पिछले कार्यकाल में ही उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिवसेना को तोड़ चुके हैं। इसके कारण ठाकरे और उनके समर्थक उनपर गद्दारी करने का आरोप लगाते हैं।

वहीं शिंदे शिवसेना की विचारधारा से गद्दारी करने का आरोप उद्धव ठाकरे पर लगाते हुए ठाणे की कोपरी-पांच पाखड़ी सीट से पांचवी बार चुनाव मैदान में उतर चुके हैं, लेकिन इस बार उनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे ने उनके विरुद्ध उनके ही गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को उम्मीदवार बनाया है। इसलिए कोपरी - पांच पाखड़ी में लड़ाई दिलचस्प हो गई है।

दिघे के उत्तराधिकारी बनाम भतीजे की जंग

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक टी.एन.रघुनाथ कहते हैं कि कोपरी-पांच पाखड़ी से केदार दिघे को उम्मीदवारी देकर शिवसेना (यूबीटी) उनके दिवंगत चाचा के नाम पर सहानुभूति जुटाने का प्रयास करेगी।

इससे पांच-पाखड़ी के एकतरफा मुकाबले में कुछ रोचकता जरूर आ जाएगी, लेकिन केदार दिघे ठाणे के लिए कोई जाना-पहचाना चेहरा नहीं हैं। शिंदे पहले दिन से ही वे दावा करते आ रहे हैं कि वे ही दिघे की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी हैं।

ठाणे जिले में मुख्यमंत्री शिंदे की लोकप्रियता भी अच्छी है। अपनी इसी लोकप्रियता के कारण  पिछले लोकसभा चुनाव में ठाणे शहर की दोनों लोकसभा सीटें शिवसेना (यूबीटी) को हराकर उनकी शिवसेना के ही उम्मीदवार जीते हैं। इनमें एक तो शिंदे के ही पुत्र डॉ. श्रीकांत शिंदे थे, तो दूसरे नरेश म्हस्के।

इस बार भी स्वयं शिंदे की कोपरी - पांच पाखड़ी सीट के साथ-साथ ठाणे की बाकी सीटों पर भी शिंदे का प्रभाव दिखाई देने की उम्मीद की जा रही है।

प्रचार का माध्यम बनीं दो फिल्में

आनंद दिघे पर के जीवन पर बनी दो फिल्में - ‘धर्मवीर: मुक्काम पोस्ट ठाणे ' एवं ‘धर्मवीर 2: मुक्काम पोस्ट ठाणे’ भी  मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रचार का माध्यम बन रही हैं। इनमें से पहली फिल्म तो 13 मई, 2022 को ही शिंदे के उद्धव ठाकरे से बगावत के एक माह पूर्व ही  प्रदर्शित हो गई थी। जबकि इसका सीक्वल 'धर्मवीर 2: मुक्काम पोस्ट ठाणे '  27 सितंबर, 2024 को प्रदर्शित की गई। इस फिल्म में एकनाथ शिंदे पर अधिक फोकस किया गया है।

ये दोनों फिल्में आनंद दिघे के साथ-साथ एकनाथ शिंदे के भी सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दिखाने का प्रयास किया गया है। पहली फिल्म पूरी तरह से आनंद दिघे पर ही आधारित है

आनंद दिघे के निधन पर समाप्त होनेवाली इस फिल्म को दर्शकों द्वारा काफी पसंद भी किया गया। दूसरी फिल्म में एकनाथ शिंदे की भी भूमिका दिखाई गई है। लेकिन इस फिल्म का बड़ा हिस्सा काल्पनिक है। संभवत इसलिए यह फिल्म दर्शकों द्वारा ज्यादा पसंद नहीं की गई।

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