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लिवर कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए आईएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने कहा कि यह दुनिया भर में कैंसर से मौत का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है। भारत में भी लिवर का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी लिवर कैंसर का एक बड़ा कारण है।

नई दिल्ली। कैंसर की बीमारी बढ़ रही है। हाल ही में जन्म व मृत्यु पंजीकरण की रिपोर्ट से यह बात सामने आई हैं कि दिल्ली में डेढ़ दशक में कैंसर से मौतें दोगुनी हो गई हैं। इस वजह से पिछले वर्ष दिल्ली में पूरे वर्ष कैंसर से होने वाली मौतें करीब आठ हजार हो गईं।

पेट से संबंधित कैंसर, दिल्ली में मौत का बड़ा कारण बन रहा है। पिछले दिनों लिवर कैंसर की बीमारी को लेकर यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) में एक कॉन्फ्रेंस भी हुई थी। इसके मद्देनजर आईएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन से प्रमुख संवाददाता रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:-

कई ऐसी रिपोर्ट आ रही है जिसमें लिवर कैंसर बढ़ने बात सामने आ रही है, आप क्या सोचते हैं?

वर्तमान में लिवर कैंसर सबसे तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है। यह दुनिया भर में कैंसर से मौत का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है। भारत में भी लिवर का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। आइएलबीएस में भी प्रत्येक वर्ष लिवर कैंसर के बड़ी संख्या में मरीज देखे जाते हैं।

ज्यादातर मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसलिए लोगों में लिवर कैंसर के प्रति जागरूकता जरूरी है। ताकि जल्दी बीमारी की पहचान हो सके। बीमारी की जल्दी पहचान होने पर इलाज बेहतर हो सकता है।

लिवर कैंसर की बीमारी बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं?

हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी लिवर कैंसर का एक बड़ा कारण है। अब यह देखा जा रहा है नन अल्कोहोलिक फैटी लिवर व शराब का सेवन भी इस बीमारी का बड़ा कारण बनकर सामने आ रहा है। यह चिंता का विषय है।

देश में करीब एक तिहाई लोगों व दिल्ली में करीब 50 प्रतिशत लोगों को नन अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या है। इसलिए लोगों को अपने खानपान पर ध्यान देना होगा और प्रतिदिन व्यायाम के लिए समय निकालना होगा। इस लोगों को स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग भी करानी चाहिए।

शराब नहीं पीने वाले लोगों में फैटी लिवर के क्या कारण होते हैं?

फैटी लिवर यह गंभीर विषय है। इसके कई कारण होते हैं। खानपान में जंक फूड व फैट का अधिक इस्तेमाल बढ़ गया है। लोग अब शारीरिक मेहनत नहीं करते। इस वजह से शारीरिक सक्रियता बहुत कम हो गई है। इसके अलावा कुछ जेनेटिक कारण भी होते हैं, जिसके कारण फैटी लिवर की समस्या होती है।

लिवर कैंसर के इलाज की दिशा में क्या तरक्की हो रही है?

पिछले कुछ वर्षों में लिवर कैंसर के इलाज के लिए नए विकल्प व दवाएं सामने आई हैं। इससे लिवर कैंसर के एडवांस स्टेज के मरीजों को भी अधिक दिन तक बचाया जा सकता है। पहले लिवर कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी प्रमुख विकल्प था। खास तौर पर ट्यूमर थोड़ा बड़ा होता था तो सर्जरी ही करनी पड़ती थी।

अब नई तकनीक व दवाएं आ गई हैं, जिससे बिना सर्जरी के भी इलाज संभव है। इम्युनोथेरेपी भी दवाएं आ गई हैं। कीमो का दुष्प्रभाव अधिक होता था। इम्युनोथेरेपी की दवाओं का परिणाम बेहतर देखा जा रहा है। एडवांस स्टेज के लिवर कैंसर के मरीज जो पहले छह माह से अधिक नहीं बच पाते। अब दो वर्ष तक जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।

लिवर कैंसर के इलाज के लिए नई दवा स्ट्राइड जल्दी देश में भी उपलब्ध होने वाली है। इसमें इम्यूनोथेरेपी की दो दवाएं शामिल हैं। इससे मरीजों ज्यादा फायदा होगा। एक महत्वपूर्ण बात यह कि लिवर कैंसर के मरीजों को लिवर के विशेषज्ञ डाक्टर को ही इलाज करना चाहिए।