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अयोध्या में आयोजित आठवां दीपोत्सव ऐतिहासिक रहा जिसमें दो विश्व कीर्तिमान स्थापित हुए। राम की पैड़ी पर 25 लाख से अधिक दीये 35 मिनट में जलाए गए और सरयू माता की महाआरती में 1600 साधु-संत और भक्त शामिल हुए। यह आयोजन वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और अब यह पहला सांस्कृतिक आयोजन है जिसने एक ही समय में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किए।

अयोध्या। प्रभु श्रीराम के दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद रामनगरी में आयोजित आठवां दीपोत्सव इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया। यह दीपोत्सव इसलिए भी विशेष रहा कि रामनगरी एक नहीं बल्कि दो कीर्तिमानों की साक्षी बनी। 

एक ओर दीयों की दीप्ति से राम की पैड़ी, भजन संध्या स्थल और चौधरी चरण सिंह घाट आलोकित रहा तो दूसरी ओर सरयू माता भी। एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 16 सौ श्रद्धावनत भक्त मां सरयू की आरती में आबद्ध रहे। अपनी तरह के पहले आयोजन पर एक साथ दो विश्व कीर्तिमान बनाकर सरयू माता इतराती और गौरवान्वित होती प्रतीत हुईं।

एक ही आयोजन में दो विश्व कीर्तिमान

रामनगरी ने एक दिन और एक घंटे की समय अवधि में एक ही आयोजन में दो विश्व कीर्तिमान रचने का नया अध्याय अपने नाम जोड़ा है। राम की पैड़ी के 55 घाटों पर एक साथ 25 लाख से अधिक दीये रोशन हुए। 35 मिनट में यह रिकॉर्ड बना।

इसके पहले केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और महाआरती के संयोजक महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी की मौजूदगी में 1600 साधु-संत, वेदाचार्य व अर्चकों ने सरयू किनारे महाआरती की। 

100-100 की संख्या में भक्त आरती करते दिखे

सरयू तट पर 16 खंड में बंटे अर्चकों ने एक साथ मोक्षदायिनी की आरती कर इतिहास रचा। प्रत्येक खंड में एक मुख्य अर्चक रहा और खंड में 100-100 की संख्या में भक्त आरती करते दिखे। एक रंग के परिधान पीली साड़ी पहने 500 से अधिक महिलाएं भी महाआरती में शामिल होकर विश्व रिकॉर्ड की साक्षी बनी। 

महाआरती से डेढ़ किलोमीटर परिधि का सरयू तट दिव्य आभा से प्रकाशमान हो उठा। शाम को छह बजकर 20 मिनट पर पुण्य सलिला सरयू की महाआरती शुरू हुई। सरयू आरती कार्यक्रम में लगभग आधे घंटे का समय लगा। उसके बाद असंख्य दीपों का प्रज्वलन शुरू हुआ। 

एक घंटे के अंदर बने दोनों विश्व रिकॉर्ड

दीपों का महाकुंभ व सरयू की महाआरती दोनों विश्व रिकॉर्ड एक ही आयोजन में एक घंटे के अंदर बने। यूं तो दीपोत्सव वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान पहले ही बना चुका है, बुधवार को एक साथ दो विश्व कीर्तिमान गढ़ कर पूरे विश्व में अपनी तरह का पहला सांस्कृतिक आयोजन बना है।

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