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सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग सुख-समृद्धि की देवी तुलसी माता की पूजा की जाती है। इसके साथ ही तुलसी विवाह किया जाता है। धार्मिक मत है कि तुलसी माता की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को तुलसी विवाह मनाया जाता है। यह पर्व देवउठनी एकादशी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। कई बार तिथि गणना और शुभ मुहूर्त के चलते दोनों पर्व एक दिन ही मनाए जाते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु एवं तुलसी माता परिणय सूत्र में बंधे थे। इस शुभ अवसर पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इसमें विधि-विधान एवं शास्त्र नियमों का पालन कर भगवान विष्णु संग तुलसी माता की पूजा की जाती है। आइए तुलसी विवाह की सही डेट, शुभ मुहूर्त और योग जानते

 

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 नवंबर को है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाएगा। हालांकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर होगी। वहीं, समापन 13 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 01 मिनट होगा। उदया तिथि की गणना के अनुसार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाएगा। इसके लिए स्थानीय पंचांग का भी आप सहारा ले सकते हैं

तुलसी विवाह शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव दोपहर 01 बजे तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इस दौरान भगवान विष्णु संग तुलसी माता की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 42 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 28 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 03 बजकर 33 मिनट पर

चंद्रास्त- सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर (14 नवंबर)

ब्रह्म मुहूर्त - 05 बजकर 56 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 28 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

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