UP News यूपी के बरेली-सितारगंज हाईवे प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। जांच में 18 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए हैं जिनमें NHAI के दो तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी शामिल हैं। इन लोगों ने मिलीभगत कर किसानों को ज्यादा मुआवजा दिलाया। मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने शासन को रिपोर्ट भेजकर विशेष एजेंसी से जांच की सिफारिश की है।
बरेली। बरेली-सितारगंज, रिंग रोड परियोजना के भूमि अधिग्रहण एवं परिसंपत्ति मूल्यांकन में धांधली में 18 अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषी पाया गया। इनमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के दो तत्कालीन परियोजना अधिकारी भी शामिल हैं। इनके अलावा चार अन्य विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई।
बुधवार को मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने इन सभी नामों एवं गड़बड़ी का उल्लेख करते हुए शासन को रिपोर्ट भेज दी। इसके साथ ही विशेष एजेंसी से जांच के लिए भी कहा गया है। जांच रिपोर्ट में उन 19 बाहरी लोगों का भी उल्लेख किया गया, जिन्होंने अधिकारियों से मिलीभगत कर अधिक मुआवजा प्राप्त किया था।
2018 में शुरू हुई थी परियोजना
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज चौड़ीकरण परियोजना 2018 में शुरू हुई थी। इसके बाद अधिक मुआवजा का खेल शुरू हुआ। प्रस्तावित मार्ग का एलाइनमेंट लीक कर बाहरी लोगों को पीलीभीत में किसानों से जमीनें खरीदवाई गईं। इसके बाद टिन शेड आदि निर्माण दर्शाकर अधिक मुआवजा लिया गया।
इस प्रकरण में मंडलायुक्त ने जांच कराई तो 58.91 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई। इसी तरह बरेली रिंग रोड में भी गड़बड़ी की गई। मंडलायुक्त ने 14 सितंबर को शासन को प्राथमिक जांच रिपोर्ट भेजी थी। अब इस धांधली में शामिल सभी के नाम भेजे गए हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि परिसंपत्तियों के दोषपूर्ण मूल्यांकन में एनएचएआइ के तत्कालीन परियोजना निदेशक एआर चित्रांशी, बीपी पाठक को दोषी पाया गया।
संयुक्त सर्वे रिपोर्ट व संयुक्त मूल्यांकन आख्या में गड़बड़ी पर एनएचएआइ के साइट इंजीनियर पीयूष, जैन पारस त्यागी, नामित एजेंसी साईं सिस्ट्रा ग्रुप के जिला प्रतिनिधि उजैर अख्तर, एसए इन्फ्रा स्ट्रक्चर कंसलटेंसी के जिला प्रतिनिधि राजीव कुमार व सुनील कुमार, शिवम सर्वेइंग सिस्टम (साईं सिस्ट्रा ग्रुप द्वारा अनुबंधित), वैल्यूअर रविन्द्र गंगवार व सुरेश कुमार गर्ग, तत्कालीन लेखपाल मुकेश कुमार मिश्रा, विनय कुमार, दिनेश चंद्र, आलोक कुमार, मुकेश गंगवार, तेजपाल, ज्ञानदीप गंगवार और अमीन अनुज वर्मा को
इसके अलावा, परियोजना नोटिफिकेशन में भी गड़बड़ी हुई। सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति, बरेली एवं एनएचएआइ के परियोजना निदेशक कार्यालय ने तहसील स्तर पर पत्राचार नहीं किया। पर्यवेक्षणीय शिथिलता के लिए 27 मार्च 2018 से सात मार्च 2019 तक तैनात रहे भूमि अध्याप्ति अधिकारी सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, आठ मार्च 2019 से 23 सितंबर 2021 तक तैनात मदन कुमार, 24 सितबर 2021 से 12 जुलाई 22 तक तैनात राजीव पांडेय और आशीष कुमार की भूमिका संदिग्ध पायी गई।
इन लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से लिया अधिक मुआवजा
जांच रिपोर्ट में रामपुर निवासी धर्मवीर मित्तल, पूर्वी दिल्ली के सुनील नोसरिया, उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के राजेश कुमार, राम किशोर, रमन फुटेला, मनीषा सिंघल, अंकुर पपनेजा, बवीता रानी, सीमा रानी, नवीन खेड़ा, राजकुमारी, उमा गंगवार, पीयूष टंडन, राजन प्रसाद बसंल, लखनऊ के अलीगंज निवासी साधना सिंह, हिमांशु कुमार, नोएडा निवासी मनीष सिंघल, लखीमपुर खीरी निवासी कमलजीत कौर, बरेली निवासी रामेश्वर दयाल का उल्लेख है। मिलीभगत से इन लोगों ने उसी गांव में खेत खरीदे, जहां से परियोजना गुजर रही थी। इसे संगठित एवं योजनाबद्ध बताया गया।
- Log in to post comments