Skip to main content

निशांत की मृत्यु से जीवंत देह की पीड़ा तो सारी मिट गई लेकिन पार्थिव देह के अंतिम संस्कार की पीड़ा उभर आई है। मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन ने जिला प्रशासन से अंत्येष्टि के संबंध में दिशा-निर्देश मांगे। बाद में शव पोस्टमार्टम के लिए पुलिस के हवाले कर दिया। निशांत के पिता ने डीएम कार्यालय में पत्र देकर अंत्येष्टि के लिए बेटे का शव दिलाने की मांग की है।

बरेली। दुर्लभ बीमारी थी... इसलिए अपनों ने निशांत को छोड़ दिया। कई साल से उससे मिलने कोई नहीं गया। निशांत की तीमारदारी और इलाज एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज वाले ही करते रहे। निशांत को परिवार की कमी नहीं खले, इसलिए स्टाफ उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करता।

कुछ दिन पहले ही उसका जन्मदिन धूमधाम से मनाया। आखिरकार निशांत जिंदगी की जंग हार गया। 18 सितंबर को उसे कार्डियक अरेस्ट पड़ा और शुक्रवार सुबह निशांत की सांसें थम गईं। 

2016 से मेडिकल कॉलेज में भर्ती था निशांत

शहर के मिनी बाइपास रोड स्थित अवध धाम कालोनी निवासी कांता प्रसाद ने अपने 15 वर्षीय बेटे निशांत गंगवार को दिनांक 16 जुलाई 2016 को एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित निशांत के उपचार के दौरान सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली भी ले जाया गया था। वहां से लाकर फिर एसआरएमस में भर्ती करवा दिया गया था। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद माता-पिता छोड़ कर चले गए थे। उसके बाद कोई उसे देखने भी नहीं पहुंचा।

मेडिकल कॉलेज ने घरवालाें से किया था संपर्क

मेडिकल कॉलेज की ओर से कई बार उसके घरवालों से संपर्क किया गया। बावजूद इसके उसे कोई देखने तक अस्पताल नहीं आया। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी दी गई। अपने से ठुकराए गए निशांत के लिए अस्पताल का स्टाफ उसका परिवार बन गया। उसके इलाज और देखभाल की जिम्मेदारी मेडिकल कालेज ने उठानी शुरू कर दी। गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने की वजह से निशांत के हाथ-पैर कमजोर हो गए थे और वह चलने फिरने और सामान उठाने में असमर्थ था।

कुछ दिन पहले मनाया था जन्मदिन

नर्सिंग स्टाफ हर खुशियां निशांत के साथ साझा करता। उसका जन्मदिन भी अच्छे से मनाया। उसे तिलक लगाकर केक भी काटा। हर तरह से उसके परिवार की कमी को पूरा करने का प्रयास स्टाफ ने किया। शुक्रवार सुबह निशांत की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन ने घरवालों को सूचना भेजी, लेकिन कोई नहीं आया। चिकित्सा अधीक्षक डा. (ले. कर्नल) आरपी सिंह ने डीएम को पत्र भेजकर शव के अंतिम संस्कार के संबंध में दिशा-निर्देश मांगे। शाम को पुलिस अस्पताल पहुंची और पंचनामा भरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया है। इधर, देर शाम कांता प्रसाद ने डीएम कार्यालय में पत्र देकर अंतिम संस्कार के लिए बेटे का शव दिलवाने की मांग की।

पुलिस को भी फोन से दी जानकारी

वहीं, पुलिस को भी फोन करके अवगत कराया। देर रात तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका था, यह भी तय नहीं हो सका था कि अंतिम संस्कार कौन करेगा। पिता का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें बेटे की मृत्यु की कोई जानकारी नहीं दी गई। परिवार के लोग मिलने जाते थे तो उन्हें नहीं मिलने दिया जाता था। शुरूआत में वह अस्पताल के 25 लाख रुपये बिल का भुगतान भी कर चुके थे। इधर, डीएम रविंद्र कुमार का कहना है कि अगर परिवार के लोग नहीं मिलते हैं तो एनजीओ के माध्यम से शव का अंतिम संस्कार कराया जाएगा।

क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम

गुलियन बैरे सिंड्रोम लाइलाज विकार है। इससे पीड़ित के शरीर में दर्द होता है और बाद में मांस-पेशियां कमजोर होने लगती हैं। धीरे धीरे शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है। प्रतिरोधी क्षमता प्रभावित होने के कारण इसे आटो इम्यून डिजीज भी कहते हैं। इससे तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ता है और तंत्रिकाएं मस्तिष्क के आदेश न पकड़ पाती हैं और न ही मांस-पेशियों को पहुंचा पाती हैं। रोगी को किसी चीज की बनावट पता नहीं चलती। सर्दी, गर्मी और दूसरी अनुभूतियां भी महसूस नहीं होतीं। पूरा शरीर अपाहिज हो जाता है।