Skip to main content

गोरखपुर और बस्ती के किसानों ने केवीके बेलीपार से प्रेरणा लेकर सेब की बागवानी शुरू की है। गोरखपुर के धर्मेंद्र सिंह ने अपने खेत में 143 पौधे लगाए हैं जिन पर इस साल फल आ गए हैं। केवीके में तीन साल पहले लगाए गए पौधों में भी दो साल से फल लग रहे हैं। सेब की खेती के लिए 21 से 24 डिग्री तापमान की जरूरत होती है।

गोरखपुर। हिमाचल के पहाड़ों में होने वाले सेव अब पूर्वांचल में भी पैदा होगा। केवीके बेलीपार से प्रेरित होकर गोरखपुर के पांच और बस्ती के छह किसानों ने इसकी बागवानी की है। इसमें सबसे अधिक पिपराइच के उनौला दोयम निवासी धर्मेंद्र सिंह ने 143 पौधों की बागवानी की है। वर्ष 2023 में उन्होंने 50 पौधे लगाए थे। जिसमें इस वर्ष फूल और फल आ गए है। जबकि केवीके में तीन वर्ष पहले लगाए गए पौधों में दो वर्ष से फल आ रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. एसके तोमर ने बताया कि बीते वर्ष 10 पौधों में 50 किलो से अधिक फल निकला था।

वर्ष 2021 में कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार ने अनूठा प्रयोग करते हुए हिमाचल से सेव की तीन प्रजातियों अन्ना, हरमन- 99 और डोरसेट गोल्डन के 13 पौधे मंगवाये। उन्हें परिसर में लगवाया, जिसमें तीन पौधा नष्ट हो गया और 10 पौधे बच गए।

अध्यक्ष डा. एसके तोमर ने बताया कि अच्छी तरह से देखभाल करने से वर्ष 2022 में उसमें फूल आए लेकिन उसे छोड़ दिया गया। इसके बाद वर्ष 2023 में एक बार फिर उन सभी पौधों में फल आए। तैयार होने के बाद 50 किलो से अधिक सेव निकले थे। प्रयोग सफल होने की जानकारी होने पर बस्ती के छह किसानों के साथ गोरखपुर के धर्मेंद्र सिंह समेत छह किसानों ने संपर्क किया और पौधे मंगवाए।

पौधे आने के बाद धर्मेंद्र सिंह ने 50, चिलबिलवा के रामनेवास यादव, लल्लू यादव ने दो-दो, जंगल सुभान अली के फखरुद्दीन खान और हिरा निषाद ने दो-दो और रजही के दिनेश मार्य ने तीन पौधा लगाया। इनके यहां लगे सभी पौधे तैयार हो गए है और उसमें फूल और फल आ गए हैं।

अन्ना और हरमन-99 प्रजाति के पौधे लगे हैं

किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2022 में उन्होंने हिमाचल से अन्ना और हरमन-99 प्रजाति के 50 पौधे मंगवाए थे। सभी पौधों को उन्होंने खेत में लगाया। कटिंग और देखभाल करने से एक वर्ष में ही उसमें फल आ गए है। इसके बाद से और पौधों को लगाकर बागवानी तैयार करने का निर्णय लिया गया है। केवीके के माध्यम से 150 पौधे और मंगवाए गए है। केवीके में ही उन्हें क्वारंटिन किया गया है। जनवरी में उनका रोपण किया जाएग। एक पौधे को हिमाचल से मंगवाने में 500 रुपये का खर्च आता है। समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह ली जाती है।

तेज धूप लगने से फट जाता है फल

डा. एसके तोमर ने बताया कि सेव के पौधे के लिए 21 से 24 डिग्री तापक्रम की आवश्यकता होती है। तेज धूप सेव के पौधों को नुकसान तो करती ही है फल भी फट जाते हैं। इसलिए मई और जून में धूप से बचाने के लिए पौधों के ऊपर नेट का शेड लगा देना चाहिए।

इससे फल और पौधे पर धूप का सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है। डा. तोमर ने बताया कि पूर्वांचल के कृषि जलवायु के लिए तीन प्रजातियां अन्ना, हरमन-99 और डोरसेट गोल्डन का ही चयन करना चाहिए। बागवानी में कम से कम दो प्रजाति के पौधों का रोपण करना चाहिए। नवंबर अंतिम से फरवरी का पहला सप्ताह पौधा रोपण का उचित समय है

10 गुणे 12 फीट पर लगाएं पौधा

डा. तोमर ने बताया कि पौधा रोपण के समय एक पौधे में 10 गुणे 12 फीट का अंतर होना चाहिए। प्रति एकड़ करीब 400 पौधे का रोपण होता है। रोपण के दूसरे और तीसरे वर्ष में ही 80 फीसद पौधों में फल आने शुरू हो जाते हैं। किसानों को पौधा रोपण के बाद एक बात का ध्यान रखना होगा कि मिट्टी में नमी रहे लेकिन पानी नहीं रुकना चाहिए।

इस तरह की मिट्टी ही सेव की फसल के लिए अनुकूल होती है।पौधों पर लगने वाले फलों की संख्या दिए गए पोषण पर निर्भर करती है। हालांकि देखभाल सहीं होने पर चार-चार के गुच्छे में फल आते हैं। अगर गुच्छे में चार से अधिक फल आते हैं तो सेव की साइज छोटी हो जाती है।

News Category