भारत ने बैक्टीरियल संक्रमण के खिलाफ एक क्रांतिकारी इलाज खोजा है। नेफिथ्रोमाइसिन 14 वर्षों में विकसित पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से 10 गुना अधिक प्रभावी है और निमोनिया के इलाज में केवल तीन दिन लगते हैं। यह दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ भी कारगर है। नेफिथ्रोमाइसिन का विकास वाकहार्ट लिमिटेड और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद (बीआइआरएसी) के सहयोग से किया गया है।
कानपुर। मरीजों को घातक बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने के लिए रामबाण इलाज मिल गया है। भारत में अब तक की सबसे सटीक एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन दवा विकसित कर ली गई है, जो जल्द ही बाजार में होगी। बैक्टीरियल निमोनिया से पीड़ित के लिए यह दवा संजीवनी के समान होगी।
यह अब तक इस्तेमाल की जाने वाली एजिथ्रोमाइसिल की तुलना में आठ से 10 गुना असरदार होने के साथ इलाज में आसान व कम वक्त लेगी। कई एंटीबायोटिक का प्रयोग कर चुके बैक्टीरियल संक्रमण के मरीजों के लिए नेफिथ्रोमाइसिन प्रतिरोधी रोगजनकों के खिलाफ प्रभावी है।
मुंबई स्थित वाकहार्ट लिमिटेड ने केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआइआरएसी) के सहयोग से इसको विकसित किया है।
97 प्रतिशत तक मिले परिणाम
शुरुआती तीन चरण के ट्रायल सफल रहे हैं, जिसमें भारत, अमेरिका और यूरोप के मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट मरीजों को शामिल किया गया। इनमें 97 प्रतिशत तक संतोषजनक परिणाम देखने को मिले।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रो. विकास मिश्रा के अनुसार, निमोनिया के कारण बड़ी संख्या में बच्चे और बुजुर्ग दम तोड़ते हैं। निमोनिया, टीबी और यूटीआइ जैसे आम संक्रमण का इलाज करना भी मुश्किल होता जा रहा है। अभी तक ऐसे इनका इलाज एंटीबायोटिक से किया जाता है
एंटीबायोटिक के अधिक डोज लेने से अब मरीजों में दवा असर नहीं कर रही है। ऐसे में नेफिथ्रोमाइसिन निमोनिया के गंभीर मरीजों को राहत देगी। यह दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ भारत में विकसित पहली एंटीबायोटिक है। इसे तीन दिनों तक दिन में एक बार देकर निमोनिया को काबू किया जा सकता है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति ने दवा के निर्माण व विपणन की मंजूरी दी है। बाजार में आने से पहले इसे भारत के औषधि महानियंत्रक की औपचारिक मंजूरी का इंतजार है।
14 वर्ष में बनी पहली स्वदेशी एंटी बायोटिक
14 वर्ष में बनी स्वदेशी एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन की खोज और विकास 14 वर्षों से अधिक समय लगा। डा. विकास ने बताया कि भारत में दवा के अंतिम चरण के परीक्षणों से पहले, इसे अमेरिका और यूरोपीय देशों के मरीजों में भी ट्रायल किया गया। उनके मुताबिक स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के पीछे सबसे आम जीव है, जो निमोनिया के 33 प्रतिशत मामलों में जिम्मेदार होता है। इसके बाद क्लेबसिएला न्यूमोनिया (23 प्रतिशत), स्टैफिलोकोकस आरियस (10 प्रतिशत) और माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और लीजियोनेला न्यूमोफिला (सात प्रतिशत) मामले हैं।
दवा के फायदे
- एजिथ्रोमाइसिन से 10 गुना ज्यादा असरदार l
- आठ गुना ज्यादा वक्त तक फेफड़ों में रहती है l
- तीन दिन में ही रोजाना एक गोली से कोर्स पूरा l
- एंटीबायोटिक के दुरुपयोग का जोखिम होगा कम l
- इलाज को छोटा, आसान और असरदार बनाएगी l
- मरीजों पर सुरक्षित और कम दुष्प्रभावी l
- अस्पतालों में लंबे वक्त तक नहीं रुकना पड़ेगा।
प्रो. डाक्टर विकास मिश्रा ने बताया
14 वर्ष में बनी स्वदेशी एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन की खोज और विकास में 14 वर्षों से अधिक समय लगा। डॉ. विकास ने बताया कि न्यूमोनिया के पीछे स्ट्रेप्टोकोकस सबसे आम बैक्टीरिया है, जो इसके 33 प्रतिशत मामलों में जिम्मेदार होता है। इसके बाद क्लेबसिएला न्यूमोनिया (23 प्रतिशत), स्टैफिलोकोकस आरियस (10 प्रतिशत) और माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और लीजियोनेला न्यूमोफिला (सात प्रतिशत) के मामले हैं।
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