राज्य के किसानों के लिए नीतीश सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। अब बिहार सरकार रैयती जमीन से बलुई मिट्टी खुद हटाएगी इससे किसानों को काफी फायदा होगा। सरकार ने नई बिहार खनिज नियमावली 2024 में भी इसका प्रावधान किया है। इसके अनुसार सरकार छह नदियों को छोड़ शेष अन्य नदियों से खेतों तक पहुंचने वाली बलुई मिट्टी को हटाएगी।
पटना। बिहार में किसानों को बेहतर खेती के फायदे मिले और उनकी जमीन पर उन्नत फसल लहलहाए इसके लिए सरकार ने रैयती जमीन से स्वयं ही बलुई मिट्टी हटाने का निर्णय लिया है। इसके लिए बकायदा नई नियमावली में भी प्रावधान किए गए हैं। अब सरकार ने रैयती जमीन से बलुई मिट्टी हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
खनिज नियमावली में भी प्रावधान
खान एवं भू-तत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नई बिहार खनिज नियमावली 2024 में छह नदियों को छोड़ शेष अन्य नदियों से खेतों तक पहुंचने वाली बलुई मिट्टी हटाने के प्रविधान किए हैं।
जिन नदियों को इस दायरे से मुक्त रखा गया है उनमें सोन, किउल, मोरहर, चानन, फल्गु और गंगा नदी को शामिल किया गया है। अन्य नदियों के तट से तीन किमी (एरियल डिस्टेंस) की परिधि के बाहर बलुई मिट्टी को हटाने और उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
खेती के लिए बेहतर
सरकार का मानना है कि खेत से बलुई मिट्टी हटते ही वहां की बेहतर मिट्टी पर अच्छी खेती की जा सकेगी. रैयत या किसान बलुई मिट्टी हटाने के लिए संबंधित जिले के समाहर्ता को खनिज निपटान परमिट के लिए आवेदन करेंगे।
जिले के खनन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर स्थानीय अंचल अधिकारी उस जमीन का सत्यापन और आकलन करेंगे कि संबंधित जमीन पर कितनी बालू है। इसके बाद यह रिपोर्ट समाहर्ता को भेज देंगे। इसके बाद सभी कागजातों और स्थितियों से अवगत होने के बाद संबंधित जिले के समाहर्ता के स्तर से रैयत को खनिज निपटान परमिट मिलेगा और उक्त जमीन से अनावश्यक बालू का हटाया जाएगा।
विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह अनुमति सरकार को दिए जाने वाले स्वामित्व और अन्य प्रकार के अग्रिम भुगतान कर और सभी वैधानिक अनापत्ति प्राप्त करने के बाद सीमित मात्रा में अधिकतम एक वर्ष के लिए प्राप्त की जा सकेगी। यहां बता दें कि इसके लिए समय-सीमा पांच कार्य दिवस निर्धारित की गई है।
महुआ में 3 दिसंबर से शुरू होगा भूमि का सर्वे
अंचल में विशेष भूमि सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। अब छोटे राजस्व गांवों में जमीनी स्तर पर सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। सर्वे कार्य में लगे शिविर पदाधिकारी विकास कुमार एवं कानूनगो अविनाश कुमार सिंह ने भू-स्वामियों के बीच जागरूकता शिविर के दौरान बताया कि 03 दिसंबर से महुआ के छोटे राजस्व ग्राम हरपुर गंगाराम में विशेष सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा।
इसमें सभी अमीन उपस्थित रहेंगे। इसके बाद छोटे-छोटे राजस्व गांव में अमीन पहुंचकर जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण का कार्य करेंगे। उन्होंने भू-स्वामियों से अपील किया कि वह अपनी जमीन से संबंधित सभी सूचनाओं प्रपत्र-दो में भरकर ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करना सुनिश्चित करें ताकि विभागीय निर्देश के आलोक में सर्वे का काम हो सके।
अभी तक महुआ अंचल में विभिन्न राजस्व ग्रामों के 36 हजार से अधिक आवेदन भू-स्वामियों ने जमा किया है।
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