BSP Chief Mayawati Update News उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव होने हैं। योगी आदित्यनाथ ने यूपी की दस सीटों के उपचुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी है। वहीं मायावती ने आज विशेष बैठक बुलाई है। प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर जिलाध्यक्ष तक इस बैठक में पहुंंचेंगे। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद संगठन में बदलाव की समीक्षा भी बैठक में होगी।
लखनऊ:-वैसे तो विधानसभा की जिन 10 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं उनमें से एक भी बसपा की नहीं रही है लेकिन पार्टी सुप्रीमो मायावती उपचुनाव में खाता खोलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।
लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने से पार्टी को लगे झटके से उबारने के लिए बसपा प्रमुख की कोशिश है कि उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन रहे ताकि अगले विधानसभा चुनाव में दो दशक पुराना इतिहास दोहराया जा सके। पूर्व में उपचुनावों से दूर रहने वाली बसपा अब हर एक सीट पर उपचुनाव लड़ने को तैयार है।
प्रदेश के सभी पदाधिकारी होंगे शामिल
उपचुनाव को लेकर मायावती की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रविवार को प्रदेश पदाधिकारियों के साथ ही सभी जिलाध्यक्षों की विशेष बैठक बुलाई है। माल एवेन्यू स्थित पार्टी मुख्यालय में सुबह 11 बजे से होने वाली बैठक में बसपा प्रमुख उपचुनाव की तैयारियों के साथ ही उम्मीदवारों के चयन पर पदाधिकारियों से चर्चा करेंगी। जिन जिलों से संबंधित विधानसभा सीटें हैं उनके अध्यक्षों के साथ बसपा प्रमुख अलग से भी बैठक करेंगी। हरियाणा में व्यस्तता के चलते बैठक में पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद नहीं रहेंगे।
हर सीट पर तीन से चार नाम तय होंगे
सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने हर एक सीट के जातिगत समीकरण को देखते हुए तीन-चार नाम तय कर रखे हैं। उनमें से अंतिम रूप से प्रत्याशी के चयन से पहले भाजपा और सपा के उम्मीदवारों को देखा जाएगा। ये दोनों पार्टियां जिस बिरादरी के उम्मीदवार उपचुनाव में उतारेंगी, बसपा उसके बजाय वहां प्रभाव रखने वाले दूसरे समाज के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएगी। बैठक में मायावती बूथ स्तर तक नए सिरे से संगठन को खड़ा करने के लिए किए गए बदलाव की समीक्षा भी करेंगी।
बूथ स्तर पर संगठन किया जा रहा मजबूत
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बसपा प्रमुख ने प्रदेश से लेकर निचले स्तर तक के कई पदाधिकारियों की छुट्टी कर सक्रिय व पार्टी के प्रति वफादार कार्यकर्ताओं को संगठन में मौका दिया है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर सेक्टर व बूथ स्तर तक संगठन को खड़ा किया जा रहा है। नए सिरे से मजबूत सगंठन खड़ा कर मायावती की कोशिश है कि पार्टी का जनाधार बढ़े ताकि वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव की तरह बसपा अकेले दम पर राज्य में सरकार बना सके।
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