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लखनऊ की इस यूनिट में दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइलों में शुमार ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण होगा। जिसकी रेंज 290 से 400 किलोमीटर तक और गति Mach 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) है। मिसाइल थल जल और वायु तीनों माध्यमों से दागी जा सकती है और फायर एंड फॉरगेट तकनीक पर आधारित है।

लखनऊ : भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी और युद्ध जैसी स्थिति के बीच लखनऊ में रविवार से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का उत्पादन शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ‘ब्रह्मोस’ की प्रोडक्शन यूनिट और टाइटेनियम एंड सुपर एलायस मैटेरियल्स प्लांट का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे।

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर के लखनऊ नोड में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की उत्पादन यूनिट साढ़े तीन वर्ष में तैयार हुई है। इसका शिलान्यास 26 दिसंबर 2021 को हुआ था। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में की थी।

इस कारिडोर के छह नोड लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक निवेश हो रहा है। लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस यूनिट के उद्घाटन के साथ-साथ डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम (डीटी आइएस) का भी शिलान्यास किया जाएगा, जो रक्षा उत्पादों के परीक्षण और सर्टिफिकेशन में सहायता करेगा।समारोह में ब्रह्मोस एयरोस्पेस और एयरो एलाय टेक्नोलाजी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।

  • ब्रह्मोस प्रोडक्शन यूनिट 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है। इसके लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 80 हेक्टेयर जमीन निश्शुल्क उपलब्ध कराई थी, जिसका निर्माण मात्र साढ़े तीन वर्षों में पूरा हुआ।
  • ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290-400 किलोमीटर और गति मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुणा) है
  • यह मिसाइल जमीन, हवा, और समुद्र से लांच की जा सकती है और ‘फायर एंड फारगेट’ सिद्धांत पर काम करती है, जिससे यह दुश्मन के राडार से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है।

इस अवसर पर टाइटेनियम एंड सुपर एलायस मैटेरियल्स प्लांट (स्ट्रैटेजिक मैटेरियल्स टेक्नोलाजी कांप्लेक्स) का भी उद्घाटन होगा। यह प्लांट एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सामग्रियों का उत्पादन करेगा, जिनका उपयोग चंद्रयान मिशन और लड़ाकू विमानों में किया जाएगा। इसके साथ ही ब्रह्मोस एयरोस्पेस की इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी परियोजना का भी लोकार्पण होगा, जो मिसाइलों के परीक्षण और एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।