
महाराष्ट्र के मंदिरों में ड्रेस कोड, परंपरागत परिधानों में दिखे ज्यादातर लोग; कुछ बोले- जबरदस्ती लागू नहीं
महाराष्ट्र के मंदिरों में लागू ड्रेस कोड पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मंदिर प्रबंधनों का यह भी कहना है कि ड्रेस कोड धार्मिक स्थानों पर पवित्रता बनाए रखने के लिए निर्धारित किए गए हैं। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। पुणे में चिंचवाड़ देवस्थान ट्रस्ट के तहत संचालित होने वाले मंदिर और मोरगांव व थेउर के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किए गए हैं।
कई मंदिरों में उपयुक्त परिधान पहनने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं
मुंबई। महाराष्ट्र के मंदिरों में परंपरागत परिधान पहनने का चलन बढ़ गया है। मंदिर प्रबंधनों के ड्रेस कोड लागू करने के साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालु भी इसका सहजता से पालन कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि मंदिरों में उचित परिधान पहनना अच्छी बात है लेकिन इन दिशा-निर्देशों को जबरदस्ती लागू नहीं करना चाहिए।
मंदिर प्रबंधों ने धार्मिक स्थलों की शुद्धता और शुचिता को बनाए रखने के लिए वहां परंपरा अनुरूप ही ड्रेस कोड के पालन के आग्रह के बाद से मंदिरों में बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं को परंपरागत वेशभूषा में देखा जा सकता है।
परंपरागत परिधान पहले दिखे लोग
हालांकि, मंदिर प्रबंधनों का यह भी कहना है कि ड्रेस कोड धार्मिक स्थानों पर पवित्रता बनाए रखने के लिए निर्धारित किए गए हैं। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। पुणे में चिंचवाड़ देवस्थान ट्रस्ट के तहत संचालित होने वाले मंदिर और मोरगांव व थेउर के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किए गए हैं।
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