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Ghaziabad lawyers strike गाजियाबाद में न्यायिक कार्य में बाधा डालने के आरोप में 43 नामजद और 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ कविनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। अधिवक्ताओं और उनके साथ काम करने वाले इंटर्न के अलावा बाहरी असामाजिक तत्वों ने न्यायालय परिसर में घुसकर नारेबाजी की और न्यायिक कार्य को बाधित किया। इस घटना से जुड़े सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अधिवक्ताओं की पहचान की गई है।

गाजियाबाद। न्यायिक कार्य में अवरोध उत्पन्न करने के आरोप में 43 नामजद और 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ कविनगर थाने में जिला जज के आदेश पर शुक्रवार को रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

जिला जल के आदेश पर जनपद न्यायालय के केंद्रीय नाजिर की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 26 नवंबर को सुबह 11 बजे अधिवक्ता और उनके साथ काम करने वाले इंटर्न के अलावा बाहरी असामाजिक तत्व नारेबाजी करते हुए न्यायालय परिसर में घुस गए।

न्यायालय परिसर के अंदर बने भवनों के सभी तलों पर जाकर नारेबाजी की और न्यायिक कार्य को बाधित किया। वो वादकारी और पैरोकार न्यायालय कक्ष में मौजूद थे, उनसे अभद्रता की। विभिन्न न्यायालयों के दरवाजे बंद किए गए और वादकारी और पैरोकारों को न्यायालय से बाहर कर दिया।

इसी तरह 27 नवंबर को सुबह 11:30 बजे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या - दो के कक्ष के अंदर जमानत प्रार्थना पत्रों की सुनवाई के दौरान कुछ अधिवक्ता, उनके इंटर्न साथी और असामाजिक तत्वों ने जिला शासकीय अधिवक्ता से अभद्रता की और न्यायिक कार्य करने से रोकने का प्रयास किया। न्यायालय का कार्य रोकने के लिए नारेबाजी और शोर शराबा किया गया, जिससे कि न्यायिक कार्य बाधित हुआ।

सीसीटीवी कैमरे से 43 वकीलों की हुई पहचान

इस संबंध में पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या - दो ने पत्र प्रेषित कर जिला जज को जानकारी दी। उनके अलावा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या पांच और अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या - 13 के द्वारा भी 27 नवंबर को पत्र भेजकर जिला जज को अवगत कराया गया कि अधिवक्ताओं का समूह नारेबाजी करते हुए न्यायालय कक्ष के सामने गैलरी में आया और न्यायालय कक्ष के दरवाजों को बाहर से बंद कर न्यायिक कार्य में बाधा पहुंचाई गई

अन्य न्यायालयों में भी यह अपकृत्य किया गया और वादकारियों के साथ मारपीट की गई। कोर्ट के अंदर आने वाला रास्ता भी बंद किया गया। 28 नवंबर को कुछ अधिवक्ताओं ने अशोभनीय भाषा में नारेबाजी करते हुए न्यायालय कक्षों में जाकर न्यायिक कार्य को बाधित किया गया। तीनों दिनों की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है, जिसे अधिवक्ताओं की 43 अधिवक्ताओं की पहचान हुई है।

अधिवक्ताओं के नाम मुकुल शर्मा, विकास त्यागी, सुमित त्यागी कनौजिया, नितिन यादव, हरीश वर्मा, विनय उपाध्याय, उमेश कसाना, खालिद खान का जूनियर हर्ष चौधरी, योगेंद्र कौशिक, दिशांत स्वामी, नेमपाल सिंह, मुकेश कुमार, मनीष शर्मा, मुस्तफा चौधरी, दीपक सिंह, हरेंद्र गौतम, अरविंद कौशिक, शरद शर्मा, गौरव त्यागी, दीपक शर्मा, आसिफ खान, सुमित।

विश्वास त्यागी, अमित राणा, पंकज त्यागी, नितिन त्यागी डूंडाहेड़ा, शरद शर्मा, निर्भय जैन, संजय त्यागी, मोहन, बिट्टू त्यागी, योगेंद्र सिंघल, मनीष शर्मा, सुमित चौधरी, हिमांशी, सतपाल यादव, वरुण त्यागी, अखिल त्यागी, दीपक, मारूफ चौधरी, साबिर चौधरी, रोहित वीरू, सुमित त्यागी हैं।

सिविल जज के कक्ष में घुसे अधिवक्ता पर केस

सिविल जज के पेशकार ने भी कविनगर थाने में एक अधिवक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। पेशकार संजय कौशिक ने अपनी तहरीर में बताया कि 28 नवंबर को दोपहर 3:10 बजे अधिवक्ता अतुल डोभाल बिना अनुमति सिविल जज के कक्ष में प्रवेश कर गए। उन्होंने जज की तरफ एक फार्म बढ़ाते हुए कहा कि मैं अधिवक्ता हूं, लड़की का फार्म अटेस्ट करता है।

सिविल जज ने बिना अनुमति के अंदर आने का कारण पूछा तो अधिवक्ता बाहर निकलकर न्यायालय कक्ष में आ गए और संजय को बुलाने लगे। इस दौरान घंटी बजने पर पेशकार संजय सिविल जज के पास पहुंचे और बताया कि अधिवक्ता के साथ एक महिला और पुरुष हैं, जो चैंबर के बाहर खड़े थे, यह नहीं पता कि वह अंदर कैसे आए।

सिविल जज ने पेशकार से अधिवक्ता को जाने के लिए कहने पर अधिवक्ता आक्रोशित होकर कहने लगे कि काम तो हमारा हम करा ही लेंगे, इन लोगों के दिमाग ज्यादा खराब हो गए हैं। सब अपने आप को ज्यादा बड़ा हाईकोर्ट का जज समझने लगे हैं।

वह यह कहते हुए वहां से गए, जिसे सिविल जज के स्टेनोग्राफर ने भी सुना। इस मामले से जिला जज को अवगत कराया गया। जिला जज ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए।

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