बिहार सरकार द्वारा बेतिया राज की संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए विधेयक पारित होने से गोरखपुर महराजगंज और कुशीनगर के लोगों में बेचैनी है। बेतिया राज की करीब 51 एकड़ जमीन पर कब्जा है जिसमें से ज्यादातर सरकारी निर्माण है और कुछ पर निजी निर्माण भी है। बिहार राजस्व परिषद की ओर से जमीन का जायजा लिया गया है और निजी निर्माण खाली कराने की प्राथमिकता है।
गोरखपुर। बिहार सरकार की ओर से बेतिया राज की संपत्ति अपने कब्जे में लेने संबंधी विधेयक के मंगलवार को बिहार विधानमंडल में परित होने से गोरखपुर, महराजगंज और कुशीनगर के तमाम लोगों की बेचैनी बढ़ गई। ये वे लोग हैं जिन्होंने बेतिया राज की कीमती जमीन पर कब्जा कर रखा है। अकेले गोरखपुर शहर के पाश इलाके बेतियाहाता में ही बेतिया राज की करीब 51 एकड़ जमीन है।
इनमें से ज्यादातर सरकारी निर्माण है तो करीब सात से आठ एकड़ ऐसी भूमि है जिसपर लोगों ने कब्जा कर निजी निर्माण करा रखा है।
करीब पखवारे भर पूर्व बेतिया राज की संपत्ति का जायजा लेने गोरखपुर आए बिहार राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक ने जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश की अध्यक्षता में यहां के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
उन्हें बताया गया था कि शहर के बेतियाहाता में 50.921 एकड़ से अधिक भूमि बेतिया एस्टेट की हैं। इनमें मंडलायुक्त आवास परिसर समेत आस-पास स्थित अधिकारियों के आवास, आवास विकास कालोनी, स्कूल, सड़क और पानी की टंकी के अलावा करीब सात- आठ एकड़ जमीन पर नीजी मकान बन चुके हैं। बैठक में ही बताया गया था कि सरकारी आवास और निर्माण के मामले में शासन स्तर पर सहमति बन चुकी है।
इस संबंध में बाद में निर्णय लिया जाएगा लेकिन, नीजी निर्माण खाली कराना बिहार राजस्व परिषद की प्राथमकिता में है। इसपर जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने परिषद के अध्यक्ष के सामने प्रस्ताव रखा था कि निजी निर्माण करा चुके लोगों को नोटिस देकर वर्तमान सर्किल रेट से दो गुना कीमत जमा कराकर जमीन उन्हें दे दी जाए। जो राजी नहीं होंगे, उनके खिलाफ सिविल में केस दाखिल कर आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
परिषद के अध्यक्ष ने इसपर सहमति जताई थी और साथ ही आश्वस्त भी किया था कि वे इस संबंध में जल्द ही बिहार सरकार से जरूरी कार्रवाई कर शासनादेश जारी कराएंगे।
समीक्षा में पाया गया था कि बाकी जमीन पर कहीं सड़क है तो कहीं सरकारी स्कूल, पानी की टंकी और कब्रिस्तान आदि है। ऐसे में बिहार राजस्व परिषद की पहली प्राथमिकता, बेतिया एस्टेट की जमीन पर हुए निजी निर्माण का निस्तारण है क्योंकि सरकारी जमीन के मामले में शासन स्तर पर सहमति बन चुकी है। लेकिन, मंगलवार को बिहार विधान मंडल में पारित हुए विधेयक के बाद अब इस निर्णय की क्या स्थिति होगी, उसपर सभी जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं।
बिहार राजस्व परिषद की ओर से बेतिया राज की संपत्ति की देखरेख के लिए जिले में तैनात किए गए राजस्व पदाधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता का कहना है कि विधेयक की कापी अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई है। उसके अध्ययन के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि गोरखपुर और यहां के अन्य जिलों में बेतिया राज की संपत्ति को लेकर क्या कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
जमीन के सीमांकन के लिए गोरखपुर को मिले चार अमीन
बेतिया राज की भूमि मापी के लिए बिहार सरकार ने नए अमीनों की बहाली की है। बेतिया राज की जहां-जहां जमीन है, इन अमीनों की वहां तैनाती होगी। चार अमीन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में तैनात किए जाएंगे जो यहां के साथ ही यूपी के बाकी जिलों में बेतिया राज की जमीनों के संरक्षण में सहयोग करेंगे
राजस्व पर्षद की ओर से चयनित अमीनों को संबंधित जिलाधिकारी के यहां योगदान देने का निर्देश दिया गया है। उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्त अमीन गोरखपुर जिला मुख्यालय में राजस्व परिषद द्वारा प्रतिनियुक्त राजस्व पदाधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता एवं बेतिया राज के प्रतिनिधि आरएस यादव से समन्वय स्थापित कर उनके निर्देश पर काम करेंगे।
गोरखपुर में बेतिया एस्टेट की संपत्तियां (हेक्टेयर में)
- कमिश्नर आवास परिसर- 4.799
- सड़क- 4.649
- आफिस आवास, कालोनी व पेड़ पौधे- 3.501
- मकान- 2.237
- आवास विकास कालोनी- 1.433
- तुलसीदास इंटर कालेज- 1.526
- पक्का मकान- 1.259
- पानी की टंकी व स्कूल- 0.060
- कब्रिस्तान- 0.080
- नाली- 0.016
- खंदक- 0.101
- रास्ता- 0.380
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