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रिजर्व बैंक जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है वो रेपो रेट होती है। इसका असर लोन की ब्याज दर पर पड़ता है। अगर रेपो रेट में कमी होती है तो इसका मतलब कि बैंकों को कर्ज सस्ता मिलेगा तो वे ग्राहकों को भी लोन भी कम ब्याज दर देंगे। लेकिन रेपो रेट में इजाफे की सूरत में ब्याज दर बढ़ जाती है।

रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दसवीं पर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। यह 6.5 फीसदी पर बरकरार रही। इसका मतलब है कि आपकी EMI पहले की ही तरह रहेगी। उसमें कोई कमी-बेसी नहीं होगी। फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर जस का तस रखा है। हालांकि, आरबीआई ने अपने रुख में बदलाव करते हुए उसे न्यूट्रल कर दिया।

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (RBI Monetary policy meeting October 2024) की तीन दिवसीय मीटिंग का आगाज (7 अक्टूबर) को शुरू हुआ था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने आज बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क दर में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद आरबीआई ने रेपो रेट पर पहली नीति घोषणा है

क्या होती है रेपो रेट

रिजर्व बैंक जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है, वो रेपो रेट होती है। इसका सीधा असर लोन की ब्याज दर पर पड़ता है। अगर रेपो रेट में कमी होती है, तो इसका मतलब कि बैंकों को कर्ज सस्ता मिलेगा, तो वे ग्राहकों को भी लोन भी कम ब्याज दर देंगे। लेकिन, रेपो रेट में इजाफे की सूरत में वे ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी के निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी धीमी और असमान बनी रहेगी

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